खुशी श्रीवास्तव
नित्य संदेश, मेरठ: आज का आधुनिक भारतीय पुरुष न सिर्फ कार्यक्षेत्र में चुनौतियों का सामना कर रहा है, बल्कि एक गहरी और खामोश स्वास्थ्य समस्या से भी जूझ रहा है – मोटापा। यह सिर्फ पेट की बढ़ती चर्बी या बीयर बेली तक सीमित नहीं, बल्कि पुरुषों की सेहत को अंदर ही अंदर खोखला कर रहा है। भारत में पुरुषों में मोटापा एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बनता जा रहा है, जिससे हर चौथा पुरुष प्रभावित है।
आज की जीवनशैली में परंपरागत और संतुलित आहार की जगह प्रोसेस्ड और हाई-कैलोरी खाद्य पदार्थों ने ले ली है। कार्यस्थल की दावतों और बैठकों में अत्यधिक खाना, लंबे ऑफिस आवागमन, डेस्क पर बैठे रहने वाला काम और स्क्रीन के सामने बढ़ता समय, सब मिलकर एक निष्क्रिय जीवनशैली को जन्म दे रहे हैं। इसके साथ ही पुरुषों के वजन बढ़ने को लेकर समाज में गंभीरता की कमी और अंदरूनी तनाव भी इस संकट को और बढ़ा रहे हैं। तनावग्रस्त जीवनशैली अक्सर अस्वस्थ भोजन और कम शारीरिक गतिविधि की आदतों को जन्म देती है, जो वजन बढ़ाने के दुष्चक्र को और मजबूत बनाता है।
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत के बेरिएट्रिक, मिनिमल एक्सेस व जनरल सर्जरी विभाग के सीनियर डायरेक्टर डॉ. अतुल एन.सी. पीटर्स ने बताया कि “मोटापे के दुष्परिणाम गंभीर और दूरगामी होते हैं। भारत पहले ही "डायबिटीज की राजधानी" के रूप में जाना जाने लगा है। खासकर पेट और आंतरिक चर्बी, इंसुलिन रेजिस्टेंस को जन्म देती है जो टाइप-2 डायबिटीज का कारण बनती है। मोटापा उच्च रक्तचाप, हाई कोलेस्ट्रॉल, हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ा देता है, वो भी कम उम्र में। स्लीप एपनिया, जो नींद की गुणवत्ता को प्रभावित करता है, जोड़ों का दर्द, कुछ प्रकार के कैंसर, पुरुषों में प्रजनन क्षमता की कमी और यौन व मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं भी मोटापे से जुड़ी हुई हैं।“
डॉ. अतुल ने आगे बताया कि “इस खतरे से निपटने के लिए ज़रूरी है कि पुरुष अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएं। पारंपरिक भारतीय आहार जिसमें मिलेट्स, दालें, हरी सब्ज़ियां, फल और लीन प्रोटीन शामिल हों, को अपनाएं। भोजन में हिस्से का ध्यान रखें और अतिरिक्त वसा व चीनी से परहेज़ करें। रोजाना कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि जैसे तेज़ चलना, साइक्लिंग या व्यायाम, तथा हफ्ते में दो बार मांसपेशियों की ट्रेनिंग को शामिल करें। पर्याप्त नींद (7-8 घंटे), तनाव प्रबंधन (ध्यान, योग, शौक), शराब का सीमित सेवन और नियमित हेल्थ चेकअप भी ज़रूरी हैं। यदि जीवनशैली में बदलाव से पर्याप्त लाभ न मिले, तो डॉक्टर की सलाह लेना अहम है। वे डाइटिशियन, एंडोक्राइनोलॉजिस्ट या ज़रूरत होने पर वजन कम करने वाली दवाएं भी सलाह दे सकते हैं।“
मॉर्बिड ओबेसिटी (BMI > 37.5) से जूझ रहे लोगों के लिए बेरिएट्रिक सर्जरी एक प्रभावशाली विकल्प हो सकती है। ये सर्जरी न सिर्फ खाने की मात्रा को सीमित करती है, बल्कि शरीर के हार्मोनल संतुलन को भी बदलती है – भूख बढ़ाने वाले हार्मोन को कम और तृप्ति देने वाले हार्मोन को बढ़ाकर लंबे समय तक वजन नियंत्रित करने में मदद करती है।
भारत में पुरुष मोटापे से निपटना एक साझा ज़िम्मेदारी है। यह केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य से जुड़ा विषय है। अब समय है कि पुरुष अपनी सेहत को प्राथमिकता दें, जागरूक निर्णय लें और स्वस्थ, हल्का व संतुलित जीवन की ओर कदम बढ़ाएं।
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