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Wednesday, June 18, 2025

यशोदा मेडिसिटी की आधुनिक रेडिएशन तकनीक से अब कैंसर का इलाज होगा और भी सुलभ


राहुल गौतम 
नित्य संदेश, गाजियाबाद: भारत में कैंसर के हर साल 14 लाख से अधिक नए मामलों की पुष्टि होती है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक स्तन, मुख, फेफड़ों और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर सबसे आम हैं, जिनमें जीवनशैली से जुड़ी आदतें और बीमारी की पहचान देर से होना सबसे बड़ी वजहों में से एक हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर हर छह में से एक मौत कैंसर की वजह से होती है।

कैंसर के इन तेजी से बढ़ते मामलों के बीच, मरीजों की देखभाल बेहतर करने और जीवित रहने की दर बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक इलाज तकनीकों में निवेश की सख्त जरूरत है। इस दिशा में एक बड़ी पहल करते हुए, यशोदा मेडिसिटी, गाज़ियाबाद ने कैंसर उपचार के क्षेत्र में दो अत्याधुनिक तकनीकों- ईथॉस विथ हाइपरसाइट विथ आइडेंटिफाई एसजीआरटी सिस्टम और एज सिस्टम विथ एग्ज़ेकट्रैक डायनामिक की स्थापना की है। इन नई तकनीकों के जुड़ने से राज्य में कैंसर उपचार का परिदृश्य और भी अधिक सशक्त और उन्नत हो गया है।

ईथॉस तकनीक कैंसर उपचार में एक बड़ी क्राँति लेकर आई है। यह एक एडैष्टिव रेडिएशन थेरेपी तकनीक है, जो आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) की सहायता से मरीज के शरीर या ट्यूमर में हर दिन होने वाले बदलावों के अनुसार इलाज को काफी अनुकूल बना देती है। इससे प्रत्येक थैरेपी सेशन और भी अधिक सटीक होता जाता है। यह तकनीक ट्यूमर की बनावट, आकार या स्थान में हुए छोटे से छोटे बदलाव को ध्यान में रखती है और सिर्फ बीमार हिस्से को ही रेडिएशन देती है, जिससे आसपास के स्वस्थ ऊतकों पर कम असर होता है। यह एकदम व्यक्तिगत और वास्तविक समय में होने वाला इलाज है।

वहीं, एज सिस्टम कैंसर के इलाज के लिए बिना चीरे वाली रेडियोसर्जरी तकनीक है, जो बेहद सटीक तरीके से उच्च मात्रा में रेडिएशन देता है। इसमें हाई-स्पीड ट्रैकिंग और एसजीआरटी जैसी तकनीकों का इस्तेमाल होता है, जो मरीज की हरकत और साँसों को भी माइक्रो स्तर पर ट्रैक करती हैं। इससे ब्रेन, फेफड़े, लीवर और रीढ़ जैसे संवेदनशील अंगों के छोटे व जटिल ट्यूमर का इलाज भी आसानी से और सुरक्षित रूप से किया जा सकता है। रियल टाइम ट्यूमर ट्रैकिंग और उन्नत इमेजिंग की मदद से यह तकनीक शरीर में होने वाले साइड इफेक्ट्स को कम करती है और इलाज की अवधि भी घटा देती है, जिससे मरीज इलाज के दौरान भी अपने जीवन की गुणवत्ता बनाए रख पाते हैं।
डॉ. गगन सैनी, वाइस चेयरमैन और हेड- रेडिएशन एंड ऑन्कोलॉजी, ने कहा, "आज हमारे पास ऐसी तकनीक है, जिससे हम एक नाखून की मोटाई जितने छोटे ट्यूमर का भी बेहद सटीकता से इलाज कर सकते हैं, और इतना ही नहीं, शरीर में उसी स्तर की सूक्ष्म हरकतों को भी ट्रैक कर पाना इस तकनीक के माध्यम से अब संभव है।"
कैंसर के इलाज को लेकर अस्पताल के दृष्टिकोण पर बात करते हुए, डॉ. उपासना अरोड़ा, मैनेजिंग डायरेक्टर, यशोदा मेडिसिटी, ने कहा, "कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में, समय पर पहचान और इलाज पहले से कहीं ज्यादा जरूरी हो गया है। एज और ईथॉस थेरेपी सिस्टम की स्थापना हमारे उस संकल्प का हिस्सा है, जिसके तहत हम एक ही छत के नीचे कैंसर का विश्व स्तर का और समग्र इलाज देना चाहते हैं। एडवांस, एडैप्टिव और इमेज-गाइडेड रेडिएशन टेक्नोलॉजी को मिलाकर हम ज्यादा सटीक और मरीजों के अनुकूल इलाज उपलब्ध कराना चाहते हैं। वैरियन के साथ हमारी साझेदारी यह सुनिश्चित करती है कि भारत ही नहीं, पड़ोसी देशों के मरीजों को भी वही अत्याधुनिक तकनीक मिल सके, जो अब तक कुछ गिने-चुने केंद्रों तक ही सीमित थी।"

नवीनतम रेडिएशन थेरेपी तकनीकों के जुड़ाव से कैंसर का इलाज पहले से कहीं अधिक उन्नत और प्रभावी बनता जा रहा है। इमेज गाइडेड रेडिएशन थेरेपी (आईजीआरटी), एडैप्टिव रेडिएशन थेरेपी (एआरटी) और सरफेस गाइडेड रेडिएशन थेरेपी (एसजीआरटी) जैसी आधुनिक तकनीकों की मदद से अब डॉक्टर मरीजों को और अधिक सटीक इलाज दे सकते हैं। जैसे-जैसे भारत का हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत हो रहा है, इन तकनीकों में निवेश कैंसर से लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे न सिर्फ इलाज के नतीजे बेहतर होंगे, बल्कि मरीजों का जीवन भी लंबा और बेहतर बन सकेगा।

कैंसर के खिलाफ इस नई उम्मीद का प्रतीक बनते हुए, यशोदा इंस्टिट्यूट ऑफ कैंसर केयर ने गाज़ियाबाद के इंदिरापुरम में अपनी सेवाएँ शुरू कर दी हैं। यह केंद्र सबसे उन्नत कैंसर इलाज सुविधाएँ तथा अत्याधुनिक और किफायती कैंसर देखभाल देने का वादा करता है, जिससे दिल्ली-एनसीआर सहित हज़ारों मरीजों को अब बेहतरीन इलाज घर के पास ही मिल सकेगा।

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