Breaking

Your Ads Here

Sunday, June 1, 2025

लघुकथाएं मानव चेतना की प्राथमिक सूची: डाॅ. विकास दवे



दीपा मनीष व्यास की साहित्य अकादमी से चयनित प्रथम कृति "आईना हंसता है" लघुकथा संग्रह का हुआ लोकार्पण 

सपना सीपी साहू 
नित्य संदेश, इंदौर। डाॅ. दीपा मनीष व्यास की साहित्य अकादमी से चयनित प्रथम कृति "आईना हंसता है" लघुकथा संग्रह का लोकार्पण सृजन संवाद साहित्य एवं कला मंच के तत्वावधान में आयोजित किया गया।‌

कार्यक्रम का शुभारंभ मधुर सरस्वती वंदना के साथ शशि निगम ने किया। लेखिका डाॅ. दीपा व्यास ने कृति को सभी पाठकों को समर्पित की है। कहा, जीवन में रिश्तों ने ही आगे बढ़ाया। मुझे आज तक जो भी लोग मिले, सब अच्छे मिले और सभी से प्रेरणा लेकर लघुकथाएं रच पाई हूं। अब मेरी काॅपी चेक सारे पाठक करेंगे। मूलतः कहानी से लघुकथाओं की ओर बढ़ी हूं और यह जैसे बच्चों को तरल पदार्थ देने से शुरुआत करते है उसके समान है। 

चर्चाकार ज्योति जैन ने आईना हंसता है को विपरीत परिस्थितियों में मुस्कुराते रहने जैसा बताया। लेखिका की लघुकथाओं में नकारात्मकता का समावेश न के बराबर है और दीपा कांच में से हीरे चुनती है। सीख आपदा में अवसर तलाशना, शहीद अपने घर का नहीं होना चाहिए, मिठास, नारी-नारी की शत्रु नहीं, चाशनी डाल लड्डू बंधे रहेंगे में एकता, बर्तन है तो बजेंगे ही, मनभेद, लिव इन रिलेशनशीप, हिसाब-किताब, आंखें, मीठे भात, पापा का नाम बेवड़ा नहीं है, गुड टच, बेड टच, देने का सुख, खिचड़ी, कठपुतली, समर कैम्प, मी टाइम, मैं हूं न और मरणोपरांत लिखकर ज्वलंत विषयों को परिभाषित किया है।‌ लेखिका ने लेखन को क्लीष्ट नहीं बनाया, सरलता से बोलचाल की जीवंत भाषा में अच्छी लघुकथाएं गढ़ी है। 

विशिष्ठ अतिथि डाॅ. योगेन्द्र नाथ शुक्ल ने बताया कि लघुकथाएं लिखना हो तो कार्टूनिस्ट का अनुसरण करना चाहिए। छोटी-छोटी कथाएं सदैव दिमाग में चलना चाहिए। जितने लोग, उतनी कहानी होती है। लघुकथा का रास्ता संकरा होता है। लेखिका ने इन्ही पैमाने पर अच्छी लघुकथाएं रची है। व्यक्ति के अंतर्द्वंद्व को उकेरा है और समस्या उठाई है तो समाधान भी खोजा है।

मुख्य अतिथि के रूप में साहित्य अकादमी के निदेशक डाॅ. विकास दवे ने लेखिका के सृजन को अपील करती सुंदर लघुकथाएं बताया। यह सृजन स्वतः सकारात्मक और मार्मिक लेखन है, जो डियो और परफ्यूम छिड़ककर बनावटी नहीं बनाया गया है। लघुकथाएं मानव चेतना की प्राथमिक सूची है। पहले आंतरिक सौंदर्य बोध है। कोल्डड्रिंक्स के ढक्कन खोलने जैसी लघुकथाएं होती है, इनमें नायक निचले तबके के लोग होते है और साहित्य की देह की आत्मा लघुकथा है और इन सब पर लेखिका की लघुकथाएं सटीक बैठती है। 

विमोचन में अध्यक्षता कर रहे डॉ. पुरुषोत्तम दुबे ने लघुकथाओं को मयार बताया। लघुकथा का सृजन प्लेटफार्म पर करवट ले रहा है। वही करवट लेखिका की लघुकथाओं में देखने को मिलती है। आधुनिक पात्र, कथानक, विसंगतियों को नए स्वरूप में लिखा है। हंसने के अनेक रूप है जो सकारात्मकता और कुटीलता दोनों लिए होते है। इस संग्रह में हंसी के विविध रूप देखने को मिलते है।

लेखिका की पुत्री तनिष्का व्यास ने बताया कि मां ने छोटी-छोटी घटनाओं से जोड़कर लिखा है और पूरा इंदौर हमारा कुटुम्ब है। मां पर भावुक कविता भी सुनाई। लेखिका डाॅ. गरिमा दुबे ने कहा कि लघुकथाओं से परिचय उन्हें दीपा जी ने पहली बार करवाया। लेखिका में बड़प्पन है, ननद का तनिक अहंकार नहीं है। लेखिका के जेठ अतुल पाठक ने दीपा जी के प्रेम के ओरा को बहुत विस्तृत बताया। रिश्तों को बहुत सुंदर तरीके से संभाला है। 

अतिथियों का स्वागत मदन लाल दुबे, अशोक मण्डलोई, चेतन पाठक, मुकेश तिवारी, अनिल पाठक, श्वेता चौधरी, किरण मण्डलोई, अनीता पाठक, प्रतीक व्यास, सुषमा व्यास राजनिधि ने किया। शिवना प्रकाशन के शहरयार खान का सम्मान संजय दुबे, आशीष व्यास ने किया।

वामा साहित्य मंच, बावीसा ब्राह्मण प्रतिभा मंच, लेखिका संघ, हिंदी साहित्य परिवार मंच, विचार प्रवाह साहित्य मंच, सृजन संवाद, मध्यप्रदेश लेखक संघ जैसे विभिन्न मंचो ने लेखिका डाॅ. दीपा व्यास का स्वागत किया। कार्यक्रम का सुसंगठित, सुंदर संचालन स्मृति आदित्य ने किया और आभार मनीष व्यास ने माना।

No comments:

Post a Comment

Your Ads Here

Your Ads Here