नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। आर्य समाज सदर में चल रही योग कक्षा के अंतर्गत हमारी विशेष मेहमान रहीं राजस्थान से आई गुरुकुल की प्राचार्य आयुष्मति प्राचार्य सुनीति आर्ष विद्यामणि, जिनसे मिलकर सभी योग की बहनों शोभा, नीलम, प्रेम, नीरजा, ज्योति, अनिता, शीतल सभी को बड़े हर्ष का अनुभव हुआ,
कवि विजय प्रेमी ने कहा कि यह जानकार बहुत ही सुखद अनुभव हुआ, क्योंकि बहन सुनीति को चारो वेद कंठस्थ हैं।प्राचार्य सुनीति ने कक्षा में योग के महत्व को समझाते हुए बताया कि योग का अर्थ ही यह है कि खुद को अपनी आत्मा से जोड़ना, जीवन में आध्यात्मिकता को अपने व्यवहार में जागृत करना ।नियम संयम से खुद को सजाना। संवारना। सभी बहनों ने सुनीति जी का अभिनंदन किया । पतंजलि योग पीठ की शाखा सदर आर्य समाज में पिछले १७ वर्षों से नियमित चलती है। यहां समाज के पूर्व प्रधान कवि विजय प्रेमी द्वारा योग कक्षा का संचालन हो रहा हैं।
विशिष्ट अतिथि प्राचार्य सुनीति ने समाज की सभी बहनों को स्नेह प्रदान कर अपने गुरुकुल के अनुभवों को सुनाया। हमारे साथ सदर समाज के पुरोहित आदरणीय श्री जगदीश्वर शास्त्री जी भी उपस्थित रहे। कवि विजय प्रेमी ने अपनी पुस्तक भजन योग मंजरी सुनीति जी को भेट की।
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