अनम शेरवानी
नित्य संदेश, मेरठ। केरल वर्मा सुभारती कॉलेज ऑफ साइंस, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग द्वारा "उद्यमिता में सफलता के नवाचार पथ" विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन मदन मोहन मालवीय ऑडिटोरियम में हुआ। सेमिनार का संचालन विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. रेनू मावी के संरक्षण में किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसमें प्रो. (डॉ.) अशोक कुमार चौबे, डीन, फैकल्टी ऑफ साइंसेज; प्रो. (डॉ.) रेनू मावी, विभागाध्यक्ष, रसायन विज्ञान विभाग; तथा विशिष्ट अतिथि वक्ता डॉ. निशा सक्सेना, सहायक प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, रसायन विज्ञान विभाग, एमआरएम कॉलेज, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा, और डॉ. निधि सक्सेना, एसोसिएट प्रोफेसर, विधि विभाग, नॉर्थ कैंपस, दिल्ली विश्वविद्यालय उपस्थित रहे।
विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. रेनू मावी ने बताया कि यह सेमिनार प्रतिभागियों के लिए नवाचारों को व्यावसायिक स्टार्टअप्स में बदलने, निवेश और फंडिंग के अवसरों का पता लगाने तथा बाजार और कानूनी पहलुओं को समझने के लिए एक उत्कृष्ट मंच साबित हुआ। छात्रों ने इस प्रकार के बहुविषयी आयोजनों में भविष्य में भी भाग लेने में गहरी रुचि दिखाई। रसायन विज्ञान विभाग ने ऐसे कार्यक्रमों को नियमित रूप से आयोजित करने का संकल्प लिया है ताकि छात्रों में वैज्ञानिक उत्कृष्टता और नवाचार आधारित उद्यमिता को बढ़ावा दिया जा सके।
कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत मिस प्रगति जैन, व्याख्याता, फॉरेंसिक साइंस विभाग द्वारा स्वागत भाषण और परिचयात्मक टिप्पणी के साथ हुई। तत्पश्चात डॉ. प्रीति सिंह द्वारा अतिथियों का औपचारिक अभिनंदन किया गया। सेमिनार के सफल आयोजन में डॉ. मिस अंकिता, डॉ. आबिदा, मिस मानवी चौधरी और मिस निशा का विशेष योगदान रहा।
सेमिनार के तकनीकी सत्रों में दो विशिष्ट वक्ताओं ने व्याख्यान प्रस्तुत किए। डॉ. निधि सक्सेना ने भारत में स्टार्टअप्स के लिए कानूनी ढांचा, प्रमुख नियम, अनुपालन और अवसर विषय पर व्यापक प्रस्तुति दी। उन्होंने स्टार्टअप की स्थापना और संचालन से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे कंपनी गठन, बौद्धिक संपदा अधिकार, नियामक अनुपालन, कर नीतियाँ तथा स्टार्टअप इंडिया जैसी सरकारी पहलों पर विस्तृत जानकारी प्रदान की। सेमिनार का उद्देश्य वैज्ञानिक नवाचार और उद्यमिता के बीच के गहरे संबंधों को उजागर करना था, जिसमें अकादमिक अनुसंधान को व्यावसायिक उपक्रमों में बदलने की संभावनाओं पर विशेष ध्यान दिया गया। कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के 161 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
दूसरे सत्र में डॉ. निशा सक्सेना ने कैसे विज्ञान उद्यमिता को प्रेरित करता है, नवाचार को प्रभाव में बदलना विषय पर प्रेरणादायक व्याख्यान दिया। उन्होंने प्रतिभागियों को अपने अनुसंधान कार्यों को अकादमिक सीमाओं से बाहर ले जाकर व्यावसायिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में लागू करने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम का समापन एस्स्टर लालरिंगजो, सहायक प्रोफेसर, रसायन विज्ञान विभाग द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया।
No comments:
Post a Comment