नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के साहित्यिक-सांस्कृतिक परिषद एवं शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में "सर्व शिक्षा अभियान और भारत" विषय पर एक संगोष्ठी का भव्य आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग स्थित सेमिनार हॉल में संपन्न हुआ।
मुख्य वक्ता प्रो. दिनेश कुमार (आचार्य, अर्थशास्त्र विभाग) ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा, शिक्षा किसी भी समाज के सामाजिक उत्थान और राष्ट्रीय प्रगति की नींव है। 'सर्व शिक्षा अभियान' न केवल शिक्षा के अधिकार को साकार करता है, बल्कि समावेशी विकास और सशक्तिकरण का भी माध्यम बनता है। यदि हम वास्तव में आत्मनिर्भर भारत का सपना देख रहे हैं, तो हमें शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर प्रयास करने होंगे। अटल बिहारी वाजपेयी जी ने शिक्षा के सार्वभौमिकरण की दिशा में जो पहल की थी, वह आज भी अत्यंत प्रासंगिक है।
संगोष्ठी में कुल 11 प्रतिभागियों ने सक्रिय भागीदारी की और विषय से संबंधित अपने विचार प्रस्तुत किए।
डॉ. मुनेश कुमार (राजनीति शास्त्र विभाग) ने अटल जी के शिक्षा क्षेत्र में योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी जी ने सदैव शिक्षा को लोकतांत्रिक अधिकार के रूप में देखा। उन्होंने शिक्षा को जन-जन तक पहुँचाने के लिए ठोस नीतियाँ बनाईं। 'सर्व शिक्षा अभियान' उनकी दूरदर्शी सोच का प्रमाण है, जिसके माध्यम से देश के ग्रामीण और वंचित तबकों तक शिक्षा का उजियारा पहुँचा। उनके प्रयासों ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन की नींव रखी। प्रो. विजय जायसवाल (शिक्षा विभाग) ने सर्व शिक्षा अभियान की वर्तमान प्रासंगिकता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सर्व शिक्षा अभियान' आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना इसके प्रारंभ के समय था। बदलते सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश में गुणवत्तापूर्ण एवं समावेशी शिक्षा की आवश्यकता और बढ़ गई है। डिजिटल शिक्षा, नई शिक्षा नीति, और समावेशी विकास के वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अटल जी की नीतियों का आदान-प्रदान और क्रियान्वयन अत्यंत आवश्यक है। शिक्षा से ही सशक्त भारत का निर्माण संभव है।
प्रो. राकेश कुमार शर्मा (विभागाध्याक्ष एवं संकायाध्यक्ष, शिक्षा विभाग) ने शैक्षिक आयोजनों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम विद्यार्थियों और शिक्षकों दोनों के लिए बौद्धिक जागरण का माध्यम बनते हैं। ये न केवल विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देते हैं, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए नई चेतना भी उत्पन्न करते हैं। अटल जी के आदर्शों से प्रेरित होकर हम शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार और व्यापकता के लिए निरंतर प्रयासरत रह सकते हैं।
कार्यक्रम का संयोजन डॉ. जितेन्द्र गोयल ने सफलतापूर्वक किया, जबकि समन्वयक की भूमिका प्रो. कृष्ण कान्त शर्मा ने निभाई। संगोष्ठी की अध्यक्षता साहित्यिक सांस्कृतिक परिषद की अध्यक्ष प्रोफेसर नीलू जैन गुप्ता ने कहा कि शिक्षा न केवल ज्ञान का संवाहक है, बल्कि यह चरित्र निर्माण और राष्ट्र निर्माण का सबसे प्रभावी साधन है। अटल जी ने शिक्षा के क्षेत्र में जो आदर्श स्थापित किए, वे आज भी हम सबके लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। हमें उनकी विचारधारा का अनुसरण करते हुए शिक्षा को सुलभ, सर्वसुलभ और गुणवत्ता युक्त बनाने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन आयुषी ठाकुर ने प्रभावशाली एवं उत्कृष्ट शैली में किया। अंत में कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।
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