नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की साहित्यिक-सांस्कृतिक परिषद् एवं राजनीति विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में "भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में "(27 मार्च 2015 को भारत रत्न सम्मान) संयुक्त राष्ट्र में अटल के द्वारा दिये गये भाषण पर परिचर्चा" कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला एवं प्रति कुलपति प्रोफेसर मृदुल गुप्ता, निदेशक, अकादमिक तथा अध्यक्ष राजनीति विज्ञान विभाग प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा के संरक्षण में हुआ। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा (आचार्य राजनीति विज्ञान विभाग) रहे। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर कृष्णकांत शर्मा, समन्वयक साहित्यिक-सांस्कृतिक परिषद् रहे। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. मुनेश कुमार एवं डॉ. सुषमा रामपाल भी मंच पर मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन विभाग की छात्रा रागिनी झारिया एवं दिव्या के द्वारा किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मां शारदे के सम्मुख दीप प्रज्वलन एवं अटल बिहारी वाजपेयी तथा चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया गया।
सर्वप्रथम कार्यक्रम की सह-समन्वयक डॉ. सुषमा रामपाल ने अतिथियों का परिचय कराया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा का परिचय कराया गया। मंच पर उपस्थित सभी अतिथियों एवं निर्णायक मण्डल के सदस्यों को पादप भेंट कर स्वागत किया गया। तत्पश्चात परिचर्चा में आए प्रतिभागियों का एक-एक कर नाम पुकारा गया एवं एक-एक कर सभी ने आकर अपने विचार रखें। राजनीति विज्ञान विभाग की छात्रा अनम ने अटल के 1977 में दिए गए संयुक्त राष्ट्र के भाषण पर अपने मत रखे एवं बताया कि किस प्रकार अटल जी का वह भाषण युवाओं के लिए प्रेरणा बन सकता है।
तत्पश्चात राजनीति विज्ञान विभाग के ही आशीष ने अपने विचार रखते हुए अटल जी के द्वारा संयुक्त राष्ट्र में दिए गए हिंदी में भाषण ने किस प्रकार भारतीयों में अपनी भाषाओं के प्रति सम्मान एवं आत्मविश्वास को बढ़ाया, यह भी सभी के समक्ष रखा। तदोपरांत विशाल राणा ने अटल जी के जीवन पर चर्चा करते हुए कहा कि अटल जी का जीवन भारत के मौलिक जीवन को परिलक्षित करता है और वैश्विक शांति का वाहक है। राजनीति विज्ञान विभाग की छात्रा मोनिका ने कहा कि अटल जी का भाषण लोकतंत्र की विचारधारा को सभी के समक्ष भारत की मूल विचारधारा के रूप में प्रस्तुत करता है। संजय कुमार सागर ने कैसे राजनैतिक दलों से हटकर अटल जी के चरित्र को देखना चाहिए इस पर अपने विचार रखे। रूबी डबास ने अटल जी द्वारा चलाई गई योजनाओं की अपनी बचपन की यादें "स्कूल चले हम" का गान और सर्व शिक्षा अभियान के विषय में विचार रखे। निमेश शुक्ला ने बताया कि अकादमिक रूप से अटल जी के विचारों का अध्ययन किया जाना चाहिए। जयंत ने अटल जी के जीवन में हुई घटनाओं के माध्यम से अटल जी के विनोद प्रिय व्यवहार को सभी के समक्ष रखा। अनिरुद्ध ने अटल जी के भाषण देने की कला एवं उससे सीखे जाने पर जोर दिया। शिवम ने अटल जी के जीवन की घटना को बड़े रोचक ढंग से सभी के समक्ष प्रस्तुत किया। रजत ने भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों और अटल जी के जीवन में साम्य पर प्रकाश डाला। तत्पश्चात कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा जी ने अपने मुख्य वक्तव्य की शुरुआत करते हुए सबसे पहले प्रतिभागियों में से कहे गए किसी तथ्य को ठीक किया एवं तदोपरांत अटल जी किस प्रकार भारतीय राजनीति के अजातशत्रु थे इस पर प्रकाश डाला। अटल जी वैश्विक शांति को सबसे मुख्य समझते थे यह भी सभी के सम्मुख रखा। अटल जी के साथ उनकी भेंट एवं अटल जी की व्यंग करने की कला को भी सभी के समक्ष रखा। कबीर के जीवन के किस्से एवं अन्य कई उदाहरणों के साथ प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा जी ने सरलता से अटल जी के जीवन पर प्रकाश डाला।
प्रोफेसर विघ्नेश त्यागी, आचार्य इतिहास विभाग एवं पूर्व अध्यक्ष साहित्यिक-सांस्कृतिक परिषद् ने अपने विचार अटल जी की प्रसिद्ध कविता रग-रग हिन्दू मेरा परिचय से करके, अटल जी से उनकी पहली मुलाकात पर जो बातचीत हुई, पर प्रकाश डाला। तत्पश्चात कार्यक्रम के विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर कृष्णकांत शर्मा जी ने सभी को आशीष वचन देते हुए बताया कि अटल जी के जीवन के विषय पर वर्ष भर में 15 कार्यक्रम होने है। कार्यक्रम के निर्णायकों द्वारा अपना निर्णय देते हुए प्रथम पुरस्कार अनम, द्वितीय पुरस्कार शिवम एवं तृतीय पुरस्कार संजय कुमार सागर तथा सांत्वना पुरस्कार रजत कोहली एवं सौरभ को मिला। निर्णायक मंडल एवं अतिथियों को स्मृतिचिन्ह भेंट कर सभी का अभिवादन किया।
निर्णायक मंडल में डॉ. अंशु अग्रवाल, सहयुक्त आचार्य, मनोविज्ञान विभाग, डॉ. जितेंद्र गोयल, सहायक आचार्य, शिक्षा विभाग एवं डॉ. जयवीर सिंह, राजनीति विज्ञान विभाग रहे। तत्पश्चात सभी का धन्यवाद ज्ञापन विभाग के सहायक आचार्य और कार्यक्रम समन्वयक, डॉ मुनेश कुमार ने किया एवं सक्रिय सहयोगकर्ता छात्रों को प्रमाण पत्र भी दिए गए। तत्पश्चात राष्ट्रगान और उसके बाद सभी को सूक्ष्म जलपान के लिए आमंत्रित किया गया। विभाग के सभी शिक्षकों डॉ. जयवीर सिंह, डॉ. भूपेंद्र सिंह, डॉ. देवेंद्र कुमार, डॉ. रवि कुमार, सुश्री इशिता पांडेय एवं समस्त कर्मचारीगणों का सहयोग रहा।
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