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Friday, March 28, 2025

स्टेंट या बाईपास सर्जरी: कौन सा ऑप्शन दिल के लिए सही?

 



नित्य संदेश ब्यूरो

ग्रेटर नोएडा। भारत में दिल की बीमारी सबसे बड़ी जानलेवा समस्या है, खासकर कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हर साल लगभग 30 लाख लोग इस बीमारी से प्रभावित होते हैं, जिसमें नसों में रुकावट या सिकुड़े की समस्या शामिल होती है। इस स्थिति में खून का बहाव रुक जाता है, जिससे दिल पर दबाव बढ़ता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इसके इलाज के लिए दो मुख्य विकल्प हैं, स्टेंटिंग (एंजियोप्लास्टी) और बाईपास सर्जरी। सही विकल्प चुनाव मरीज की हालत ब्लॉकेज की गंभीरता और आगे की सेहत पर निर्भर करता है।

डॉ. अखिल कुमार रस्तोगी (डायरेक्टर एवं प्रमुख - कार्डियोथोरेसिक और वैस्कुलर सर्जरी, यथार्थ अस्पताल, ग्रेटर नोएडा) कहते हैं, "स्टेंट और बाईपास सर्जरी, दोनों ही दिल की नसों को खोलने के प्रभावी तरीके हैं, लेकिन हर मरीज के लिए इनका चुनाव अलग-अलग कारणों पर निर्भर करता है। यदि रुकावट सीमित है और मरीज की स्थिति हल्की है, तो स्टेंट एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। वहीं, कई ब्लॉकेज होने या गंभीर हृदय रोग की स्थिति में बाईपास सर्जरी लंबे समय तक बेहतर परिणाम देती है। सही समय पर जांच और उचित उपचार से दिल की बीमारी को प्रभावी रूप से रोका और प्रबंधित किया जा सकता है।" स्टेंटिंग, जिसे एंजियोप्लास्टी भी कहा जाता है, एक मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया है, जिसमें सिकुड़ी या बंद नसों को खोलने के लिए एक छोटा ट्यूब (स्टेंट) लगाया जाता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर लोकल एनेस्थीसिया के तहत की जाती है और मरीज को एक या दो दिन में अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। आजकल ड्रग-एल्यूटिंग स्टेंट का उपयोग किया जाता है, जो दवा छोड़कर दोबारा रुकावट की संभावना को कम करता है। यह तकनीक उन मरीजों के लिए उपयुक्त है, जिनकी एक या दो नसों में रुकावट है और जो सर्जरी के लिए उपयुक्त नहीं हैं। हालांकि, स्टेंट डालने के बाद मरीज को लंबे समय तक ब्लड थिनर दवाएं लेनी पड़ती हैं और कुछ मामलों में ब्लॉकेज दोबारा हो सकता है।

बाईपास सर्जरी एक असरदार और लंबे समय तक फायदा देने वाला इलाज है। इसमें शरीर के दूसरे हिस्से से नस लेकर दिल की बंद नसों के आगे जोड़ दी जाती है, जिससे खून का बहाव ठीक से हो सके। यह उन मरीजों के लिए ज़्यादा फायदेमंद होती है जिनकी कई नसें बंद हैं, डायबिटीज है या जिनके लिए स्टेंट काम नहीं कर रहा। सर्जरी के बाद मरीज को 5-7 दिन अस्पताल में रहना पड़ता है और पूरी तरह ठीक होने में कुछ हफ्ते लग सकते हैं। लेकिन लंबे समय में यह गंभीर दिल की बीमारी के मरीजों के लिए ज़्यादा असरदार साबित होती है और नसों के फिर से बंद होने का खतरा कम कर देती है।

स्टेंट और बाईपास सर्जरी दोनों के अपने फायदे हैं। स्टेंटिंग जल्दी ठीक होने और कम गंभीर मामलों में फायदेमंद होती है, जबकि बाईपास सर्जरी बड़ी रुकावटों के इलाज के लिए बेहतर होती है। इलाज का फैसला मरीज की उम्र, सेहत, नसों की रुकावट और दूसरी बीमारियों जैसे डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर को देखकर किया जाता है।

भारत में दिल की बीमारी के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं, इसलिए समय पर इलाज कराना ज़रूरी है। सही जानकारी और डॉक्टर की सलाह से मरीज अपने लिए सही इलाज चुन सकते हैं। लाइफस्टाइल सुधारकर, रेगुलर हेल्थ चेकअप करवाकर और सही समय पर इलाज कराकर दिल की बीमारियों से बचा जा सकता है, जिससे सेहत बेहतर बनी रहती है और ज़िंदगी लंबी हो सकती है।

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