डॉक्टर रागिनी सिंह
नित्य संदेश, इंदौर। पुस्तकों के बीच बैठकर उनसे संवाद करना और उनमें लिखी बातों को समझ उन्हें जीवन में उतारना पाठक के लिए हमेशा ही सकारात्मक रहा है। किताबों के पन्ने पलटते हुए एक भीनी खुशबू को महसूस करना अपने आप में बड़ा ही आनंददायी है। मोबाईल और इंटरनेट ने पुस्तकों और पाठकों के बीच भले ही दूरियां पैदा कर दी हैं, लेकिन आज भी पुस्तकें इंसान के अकेलेपन की साथी और मार्गदर्शक हैं। इसी सोच को पुष्ट करती वामा साहित्य मंच की बैठक इंदौर प्रेस क्लब के पुस्तकालय में आयोजित की गई। जहां संस्था की सदस्याओं ने पुस्तकों के महत्त्व पर चर्चा की एवं भिन्न विधाओं व क्षेत्रों से जुड़ी पुस्तकें वहां भेंट की, जिससे वहां आने वाले पाठक लाभान्वित हो सकें।
आयोजन की अध्यक्षता प्रेस क्लब इंदौर के अध्यक्ष अरविन्द तिवारी ने की। उन्होंने कहा कि किताबों के प्रति प्रेम और सम्मान को दर्शाता यह आयोजन अनूठा है और वामा साहित्य मंच एक सुंदर काम को अंजाम दे रहा है। इस अवसर पर प्रदीप जोशी ने कहा कि आप नहीं जानते आप कितना बड़ा अनुष्ठान संपन्न कर रहे हैं। शब्दों और किताबों को सही व्यक्ति तक पहुँचाना पुण्य का काम है। इस अवसर पर कोषाध्यक्ष संजय त्रिपाठी, कमलेश सेन, अपर्ण जैन सहित प्रेस क्लब के पदाधिकारी व सदस्य मौजूद थे।
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार मुकेश तिवारी तथा आभार इंदु पाराशर ने व्यक्त किया। इस अवसर पर वामा साहित्य मंच से आशा मुंशी, डॉ. शोभा प्रजापति, वैजयंती दाते, तनूजा चौबे, हंसा मेहता, कविता अर्गल, उषा गुप्ता, अमिता मराठे, अर्चना पंडित, अनुपमा गुप्ता, वंदना पुणतांबेकर, सुजाता देशपांडे ने किताबें क्या कहती हैं विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किये।
अध्यक्ष ज्योति जैन और सचिव स्मृति आदित्य ने वामा साहित्य मंच की ओर से स्वागत किया। सदस्यों ने पुस्तकालय में जाकर किताबों के संरक्षण और रख रखाव पर भी चर्चा की।
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