नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने ऊर्जा मंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि यदि ऊर्जा मंत्री विभाग से सचमुच भ्रष्टाचार समाप्त करना चाहते हैं तो बिजली के निजीकरण की पूरी तरह भ्रष्टाचार में डूबी हुई प्रक्रिया तत्काल निरस्त करें। संघर्ष समिति के आह्वान पर शुक्रवार को लगातार 121वें दिन समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर विरोध प्रदर्शन किया गया।
संघर्ष समिति द्वारा निजीकरण के विरोध में चलाए जा रहे हैं अभियान के तहत 29 मार्च को वाराणसी में बिजली महापंचायत आयोजित की गई है। संघर्ष समिति ने कहा कि इस बिजली महापंचायत के माध्यम से निजीकरण के विरोध में पारित प्रस्ताव वाराणसी स्थित पीएमओ को सौंपा जाएगा और प्रधानमंत्री तथा वाराणसी के सांसद नरेंद्र मोदी से यह निवेदन किया जाएगा कि प्रदेश और विशेषतया वाराणसी की आम जनता के व्यापक हित में निजीकरण का फैसला निरस्त किया जाए।
संघर्ष समिति मेरठ के पदाधिकारियों इं. सीपी सिंह (सेवानिवृत), इं. कृष्ण कुमार साराश्वत, इं. निशान्त त्यागी, इं. प्रगति राजपूत, कपिल देव गौतम, जितेन्द्र कुमार, दीपक कश्यप, प्रदीप दरोगा, भूपेंद्र, कासिफ आदि ने ऊर्जा मंत्री के इस वक्तव्य पर कड़ा एतराज जताया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि अब एक ट्रांसफार्मर फुकेगा तो एक अधिकारी भी फूंकेगा। संघर्ष समिति ने कहा कि जब प्रदेश के बिजलीकर्मी मुख्यमंत्री पर पूरा विश्वास रखते हुए उनके कुशल नेतृत्व में लगातार बिजली व्यवस्था के सुधार में लगे हुए हैं, तब ऊर्जा मंत्री द्वारा दिए गए ऐसे भड़काऊ बयान से अनावश्यक तौर पर ऊर्जा निगमों में औद्योगिक अशांति का वातावरण उत्पन्न हो रहा है जो उचित नहीं है। ऊर्जा भवन में हुई विरोध सभा में सभी बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद की।
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