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Friday, March 28, 2025

जहां संस्कार नहीं होता, वहां नस्ल खराब हो जाती है: धीरेन्द्र शास्त्री

मेरठ में कहा-लोग दुत्कारते थे, बहन की शादी में जमीन तक गिरवी रखी

नित्य संदेश ब्यूरो 

मेरठ। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री अपने बचपन की कहानी बताते हुए भावुक हो गए। कहा- गरीबों का कोई नहीं होता है। बहन की शादी में पिता जी ने एक एकड़ जमीन गिरवी रखी थी। सब उत्सव मनाते, हम देखते रहते. हम सरपंच के पास जाते तो सबसे बाद में नंबर आता था। पूछते थे कि हमारा मकान कब बनेगा, तो वे कहते कि कभी नहीं बनेगा। स्कूल वाले हम पर हंसते थे, खूब दुत्कारा हमें। घर से निकलता तो मां कहती थीं कि मुस्कुराते रहना ताकि किसी को ये न लगे कि हम गरीब हैं।

धीरेंद्र शास्त्री के दिव्य दरबार का आज चौथा दिन है। उन्होंने कहा- कुछ मजहबी लोगों ने कहा था कि अभी तो हम 50 परसेंट हैं। तो वो सुन लें कि अगर हिंदू को छेड़ोगे तो हम तुम्हे छोड़ेंगे नहीं। जहां संस्कार नहीं होता, वहां नस्ल खराब हो जाती है। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा- हमें जीवन में उनको नहीं देखना चाहिए जो असफल हुए हों, उनको देखना चाहिए को असफल होकर भी सफल हुए हैं। तुलसीदास जी को देखिए। अमेरिका में एक बच्चा पैदा हुआ अब्राहम लिंकन, कई बार हारे लेकिन फिर जीते। भारत के लोगों के नाम लूंगा तो कईयों के पेट में दर्द हो जाएगा। धीरूभाई अंबानी को देखिए। जिस पर कृपया हो भगवान की उसको देखिए। साधारण बालक थे नरेंद्र आगे चलकर विवेकानन्द हुए। सचिन तेंदुलकर को देखिए। हमको देखिए। 15 साल तक भिक्षा मांगी। घर में छप्पर था, बारिश आने से डरते थे। दिवाली पर आटा भी नहीं होता था।


धीरेंद्र शास्त्री परिवार की कहानी बताकर भावुक हुए

धीरेन्द्र शास्त्री अपनी कहानी सुनाकर भावुक हो गए। कहा- हम जब सरपंच के पास जाते थे तो सबसे बाद में नंबर आता था। पूछते थे कि क्यों आए हो, हम बताते की सरपंच जी सबके मकान बन गए, हमारे नहीं बने। वे कहते कभी नहीं बनेगा।हमारे स्कूल वाले हम पर हंसते थे, खूब दुत्कारा हमें। कार्ड पर हमारे पिता जी का नाम नहीं लिखते थे। मां कहती थी घर से निकलना तो हंसकर निकलना, ताकि किसी को ये ना लगे कि हम गरीब हैं। हनुमान जी की कृपया देखो, अब लोग हमारे पिता जी के नाम से सब करते हैं।

धीरेंद्र शास्त्री बोले- बहन की शादी में घर गिरवी रखना पड़ा था

धीरेंद्र शास्त्री ने कहा- गरीबों का कोई नहीं होता है। हमने अपनी बहन की शादी में देखा है। पिता जी ने एक एकड़ जमीन गिरवी रखी थी। लोगों के घर उत्सव मनते तो सोचते की हमारे यहां भी उत्सव होता। बड़े लोगों को मिलते देखते तो सोचते कि हमसे कोई मिले। गरीबों की कोई नहीं सुनता है। बहन की शादी में कार्ड भी गिनती के छपवाए।शादी की तैयारी में बहुत झेलना पड़ा। जब हमने देखा कि बहन की शादी में अच्छा नहीं कर पाए, तब प्रण लिया कि ऐसी बेटियों के लिए कुछ करें। हम अब यही कर रहे हैं। हनुमान जी सभी के हैं। आप सभी के रहो।

धीरेंद्र शास्त्री ने मेरठ के लोगों की चुटकी ली

धीरेंद्र शास्त्री ने कहा- एक दिन एक गुरु ने चेले से पूछा कि तुमने किसी पर कोई परोपकार किया, तो चेले ने कहा कि हां गुरु जी। चेले ने बताया कि मैंने एक बुजुर्ग महिला को घर तक पहुंचाने में मदद की। मैंने उनके पीछे कुत्ता छोड़ दिया, वे जल्दी पहुंच गईं। चुटकी लेते हुए कहा कि वो चेला मेरठ का था। उन्होंने कहा कि कथा में आने से कथा सुनने से कुछ नहीं होता है। कथा को आत्मसात करो।

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