नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ।
बागपत रोड स्थित विद्या विश्वविद्यालय में सेमिनारों की श्रृंखलाओं में शनिवार को संयुक्त
राष्ट्र द्वारा घोषित विश्व ध्यान दिवस के उपलक्ष्य में आर्ट ऑफ़ लिविगं पर एक
विशेष सेमिनार का आयोजन मुख्य सभागार में किया गया। इसकी थीम आंतरिक शांति व विश्व
सामंजस्य था। सेमिनार में विवि के विभिन्न विभागों के अध्यक्ष, डीन, शिक्षकगण व छात्र-छात्राएं आदि
सम्मिलित रहे।
सेमिनार
के कार्यक्रम का शुभारम्भ डॉ. अनीता कोटपाल (डायरेक्टर वीआईसीटी) ने माँ सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर किया तथा
कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रीति चौहान ने किया। सेमिनार
में प्रतिष्ठित विद्वानों, शिक्षकों और छात्रों ने श्री श्री
रविशंकर के कार्यक्रम आर्ट ऑफ़ लिविगं का लोगों के जीवन व उनकी भागदौड़ एवं व्यस्त
जीवनचर्या के बावजूद उनके जीवन को सुखी एंव सुंदर बनाने के लिए मेडिटेशन (ध्यान)
के प्रभावों पर विस्तृत चर्चा की। सुभारती विश्वविद्यालय से आये डॉ. अश्विनी एवं आंचल ने मेडिटेशन (ध्यान) के विषय पर कहा कि
एक मानसिक अभ्यास है, जिसमें व्यक्ति अपने मन को शांत और
स्थिर करने के लिए किसी विशेष वस्तु, विचार, या प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करता है। यह आत्मचिंतन, शांति और मानसिक स्पष्टता प्राप्त करने
का एक साधन है। ध्यान का उद्देश्य मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारना, तनाव को कम करना और आत्म-जागरूकता को बढ़ाना है। ध्यान की विभिन्न तकनीकों, जैसे प्राणायाम, माइंडफुलनेस और डीप ब्रीदिंग
एक्सरसाइज पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को ध्यान का
व्यावहारिक अभ्यास भी करवाया।
इस
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी विभागों के छात्र-छात्राओं और शिक्षकों ने
उत्साहपूर्वक ध्यान लगाया। प्रतिभागियों ने ध्यान तकनीकों को अपनाने और अपनी दैनिक
दिनचर्या में सम्मिलित करने की प्रेरणा ली। कार्यक्रम के अंत में माननीय प्रबंधन
की ओर से सभी को आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
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