डॉक्टर अनिल नौसरान
नित्य संदेश, मेरठ। शारदीय नवरात्रि भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिन्दू पर्व है, जो देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है। यह पर्व आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी से प्रारंभ होकर दशमी (विजयदशमी) तक मनाया जाता है, आमतौर पर सितंबर-अक्टूबर के बीच।
इस दौरान, भक्त नौ दिनों तक उपवासी रहकर देवी की उपासना करते हैं। प्रत्येक दिन एक विशेष देवी का स्वरूप पूजा जाता है, जैसे कि माता शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। इन दिनों में भक्त विभिन्न अनुष्ठान करते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और सामूहिक साधना में भाग लेते हैं। नवरात्रि के अंतिम दिन, विजयादशमी के रूप में रावण के पुतले का दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, जो समाज में एकता और शक्ति का संचार करता है।
जो भी व्यक्ति अपनी जीवन शैली बदलना चहता है, उसके लिए यह अवसर बहुत ही उपयुक्त है। सूर्योदय से पहले उठकर ध्यान और भजन करें। एक घंटा व्यायाम करें। दिन भर सात्विक भोजन का सेवन करें । किसी भी तामसिक खाद्य-पदार्थ का सेवन न करें। सूर्यास्त के बाद किसी भी प्रकार का भोजन ग्रहण न करें। इस विधि को अपना कर आप नौ दिन बाद मानसिक-शारीरिक और आध्यात्मिक स्तर एक बड़ा अंतर महसूस करेंगे।
जीवन शैली बदलनी पड़ेगी अन्यथा जीवन भर दवाई खानी पड़ेगी।
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