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Thursday, October 3, 2024

मां ब्रह्मचारिणी

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ब्रह्मचारिणी द्वितीय,
तपस्विनी अद्वितीय,
शिव को तप से पाए,
गौरव अपार है। 

कमण्डलु, जपमाला,
ज्योतिर्मय रूप आला,
प्रणाम त्रिलोक करें,
दया का भंडार है।
 
दुर्गा दुर्गति नाशिनी,
अपर्णा, भव्य योगिनी,
भक्तों पर कृपा करें,
सुखों का अंबार है।

प्रिय ब्राह्मी जड़ी बूटी,
पूजे रोग व्याधि छूटी,
कन्या, मिथुन जातक,
हो स्वप्न साकार है।

सपना सी.पी. साहू 'स्वप्निल' 
इंदौर (म.प्र.)

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