सपना सीपी साहू
नित्य संदेश, इंदौर। वामा साहित्य मंच के निदेशन में मासिक गोष्ठी चाय पर चुस्कियां-साथ देंगी सखियां का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस अनोखे आयोजन का आरंभ सरस्वती वंदना से अर्चना पंडित ने किया।
अध्यक्षीय उद्बोधन उपाध्यक्ष वैजयंती दाते ने देते हुए पधारें अतिथि व उपस्थित जन का स्वागत शब्द पुष्पों से किया। साथ ही मंच के उद्देश्यों और आगामी योजनाओं को साझा करते हुए स्वयं की चाय से जुड़ी यादों के गलियारों की सैर भी कराई और उसे जिदंगी की जरूरत बताया। मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध व्यंग्यकार और अपर आयुक्त आबकारी एवं प्रभारी आबकारी राज्य स्तरीय उड़नदस्ता, मध्यप्रदेश श्री मुकेश नेमा उपस्थित रहे। श्री नेमा ने अपने उद्बोधन में साहित्य में व्यंग्य के महत्व पर प्रकाश डाला और चाय के इतिहास से लेकर वर्तमान तक की स्थिति पर गुदगुदाता व्यंग्य सुनाया और सभी रचनाकारों के प्रयासों की सराहना भी की।
वामा साहित्य मंच की लेखिकाओं ने चाय के इर्द-गिर्द बुनी गई कविताओं, रोचक अनुभवों के मधुर आदान-प्रदान से रचनात्मक सहभागिता से माहौल को रंगीन बना दिया। उन्होंने चाय के विविध पहलुओं पर अपनी रचनाएं प्रस्तुत की जिसे सुनकर श्रोतागण मंत्रमुग्ध हुए।
स्वीटी टुटेजा ने चाय को करीब आने का बहाना बताया। प्रीति दुबे ने अपनी रचना से चाय की रीत सुनाकर सहभागिता की। अंजना सक्सेना ने चाय के प्याले में अदरक के साथ प्रियतम के साथ की महक खोजी। करुणा प्रजापति ने दो बजे की चाय पर संस्मरण सुनाया। डॉ सुनीता दुबे ने चाय को मदहोशी का जवाब और लाजवाब बताया। डॉ. शोभा प्रजापति ने चाय की महिमा पर संस्कृत भाषा में कविता प्रस्तुत की। निशा देशपांडे ने चाय की वाहवाही सुनाई। वंदना पुणतांबेकर ने एक प्याली चाय पर अपनी बात रखी। विभा भटोरे का घनाक्षरी छंद सुस्ती को दूर भगाने के लिए चाय की फरमाइश कर रहा था।
सरला मेहता ने चाय की एक प्याली बड़े कमाल की ने कैसे उन्हें दुल्हन बनवा दिया एक मजेदार किस्से को सुनाया। डॉ. आराधना तिवारी ने कॉर्पोरेट जगत की चाय संस्कृति पर प्रकाश डाला। डॉ प्रतिभा जैन प्रतिम ने अपनी रचना एक कप चाय और तुम प्रस्तुत की। निरुपमा वर्मा ने चाय के रंग, दोस्ती के संग दिखाए, अनुपमा गुप्ता ने चाय की सीख पर कहानी, आशा गुप्ता ने कविता सबके मन को लुभाती चाय सुनाई। निरुपमा त्रिवेदी ने चाय को भोर के सूरज और तुम्हारे जैसा बताते हुए चाय की तलब को बयां किया। वही गोष्ठी की संयोजक पद्मा राजेंद्र ने भी अभी बस चाय पी ही रही थी कि फोन घनघनाया, किसी की मौत की खबर ने दिल दहलाया को सुनाया, साथ ही प्रतिभा जोशी ने भी अपनी रचना से गोष्ठी में चाय की ऊर्जा को भरा।
कार्यक्रम का उत्कृष्ट संचालन डाॅ. अंजना चक्रपाणी मिश्र ने कुशलतापूर्वक किया। वामा साहित्य मंच की सचिव स्मृति आदित्य ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार प्रकट किया। यह आयोजन साहित्य प्रेमियों और चाय के शौकीनों के लिए वास्तव में एक यादगार और प्रेरणादायक शाम साबित हुआ।
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