नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की साहित्यिक–सांस्कृतिक परिषद के तत्वावधान में पूर्व प्रधानमंत्री, महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं भारत रत्न चौधरी चरण सिंह जी के जन्मदिवस के शुभ अवसर पर विश्वविद्यालय के वार्षिक समारोह 2025 के अंतर्गत “भारत की विकास यात्रा” विषय पर आधारित सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का ऑनलाइन आयोजन किया गया।
इस प्रतियोगिता में कुल 401 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया, जिनमें से 209 प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से सहभागिता की। प्रतियोगिता का आयोजन विश्वविद्यालय के सभी विभागाध्यक्षों के मार्गदर्शन में उनके-अपने विभागों में ऑनलाइन माध्यम से संपन्न कराया गया। इसके अतिरिक्त समाजशास्त्र विभाग एवं एवीएन शिक्षाशास्त्र विभाग में विद्यार्थियों की भौतिक उपस्थिति के साथ भी प्रतियोगिता आयोजित की गई।
प्रतियोगिता के परिणाम इस प्रकार रहे—
प्रथम स्थान,आरज़ू त्यागी, एलएलएम, विधि अध्ययन, द्वितीय स्थान, निशा रस्तोगी,बीए (ऑनर्स), राजनीति विज्ञान — तृतीय सेमेस्टर, तृतीय स्थान, सुमित गौतम, एमए समाजशास्त्र — द्वितीय वर्ष
कार्यक्रम का संयोजन डॉ. देवकीनंदन भट्ट (समाजशास्त्र विभाग) द्वारा किया गया, जबकि सह-संयोजन की भूमिका डॉ. जितेंद्र गोयल एवं डॉ. शुभम सैनी ने निभाई।
इस अवसर पर साहित्यिक–सांस्कृतिक परिषद के समन्वयक प्रो. कृष्णकांत शर्मा ने विद्यार्थियों को भारत की विकास यात्रा से संबंधित ज्ञान-परंपरा के विविध पहलुओं से अवगत कराते हुए कहा कि भारत का विकास केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों पर आधारित समग्र प्रक्रिया है। उन्होंने आधुनिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) को मानवीय विवेक का विकल्प नहीं, बल्कि एक सहायक उपकरण के रूप में अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया तथा भारतीय सांस्कृतिक परंपराओं की प्रासंगिकता पर विस्तार से प्रकाश डाला।
प्रो. राकेश कुमार शर्मा, डीन, फैकल्टी ऑफ एजुकेशन ने अपने वक्तव्य में कहा कि इस प्रकार की प्रतियोगिताएँ विद्यार्थियों में आलोचनात्मक चिंतन, राष्ट्रीय चेतना एवं अकादमिक जिज्ञासा को विकसित करती हैं। उन्होंने चौधरी चरण सिंह जी के विचारों को भारतीय शिक्षा-दर्शन से जोड़ते हुए कहा कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य सामाजिक न्याय, समानता और आत्मनिर्भरता को सशक्त करना है।
वहीं प्रो. विजय जायसवाल ने अपने प्रेरक वक्तव्य में कहा कि “भारत की विकास यात्रा” को समझने के लिए इतिहास, राजनीति, समाजशास्त्र और संस्कृति—सभी का समन्वित दृष्टिकोण आवश्यक है। उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे ज्ञान को केवल परीक्षा तक सीमित न रखें, बल्कि उसे समाज के व्यवहारिक परिवर्तन का माध्यम बनाएं।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. जितेंद्र गोयल द्वारा किया गया। संपूर्ण आयोजन में विद्यार्थियों एवं शिक्षकों की उत्साहपूर्ण, सक्रिय एवं सराहनीय सहभागिता रही, जिससे कार्यक्रम अत्यंत सफल एवं सार्थक सिद्ध हुआ।
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