नित्य संदेश ब्यूरो
नोएडा। संगीत कला केंद्र (एसकेके) के पुरस्कारों के भव्य 29वें संस्करण में उपस्थित विशिष्ट जनसमूह को संबोधित करते हुए संगीत कला केंद्र की अध्यक्षा राजश्री बिड़ला ने अपने स्वागत भाषण में संगीत कला केंद्र की स्थापना और उसकी प्रेरणादायक यात्रा का उल्लेख किया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा, संगीत कला केंद्र पुरस्कार हर वर्ष अनेक सुंदर स्मृतियों को जीवंत कर देते हैं। परंपरागत रूप से, इस संध्या पर हम संगीत कला केंद्र के हमारे प्रिय संस्थापक महान, मेरे पति आदित्य विक्रम बिड़ला को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिनका जीवन सृजनात्मकता और कल्पनाशीलता की विजय का प्रतीक था। मैं उनके दर्शन से जुड़ी कुछ बातों को साझा करना चाहूंगी, उनके शाश्वत मूल्य, जैसा कि मेरे पुत्र कुमार मंगलम ने अपने पिता के विचारों के संदर्भ में व्यक्त किया है। उनके जीवन से सीखने के लिए बहुत कुछ है। यह कि अपने मूल्यों और सिद्धांतों से समझौता किए बिना, अपनी शर्तों पर भी सफल हुआ जा सकता है। परिश्रम, जुनून और अटूट प्रतिबद्धता के साथ। साथ ही, यह भी कि जीवन केवल काम तक सीमित नहीं है। जीवन को भरपूर जियो, पूर्ण एकाग्रता के साथ काम करो और उतने ही खुले मन से आनंद भी लो। अपने सपनों का अनुसरण करो, यदि मन और हृदय से प्रयास करो तो ऐसा कुछ नहीं जिसे सीखा या हासिल न किया जा सके। अपने सच्चे सरोकार, छोटे-छोटे कार्यों और एक आदर्श के रूप में, आप असंख्य लोगों के जीवन को छू सकते हैं, शायद जितना आप कल्पना भी न कर सकें। हम सभी यह महसूस करते हैं कि वे हमेशा हमारे साथ हैं और वास्तव में कभी हमें छोड़कर नहीं गए।’” आज और हर दिन, मुझे यही लगता है कि आदित्यजी वास्तव में कभी हमसे दूर नहीं हुए। उनकी आभा, उनके मूल्यों की विरासत, जीवन को पूर्णता से जीने की उनकी आकांक्षा और एक पूर्ण कर्मयोगी बनने की उनकी भावना, यही उनकी अमूल्य धरोहर है, जो हमें प्राप्त हुई है। यही संगीत कला केंद्र की आधारशिला भी है।”
आयोजन का केंद्रबिंदु भारतीय शास्त्रीय संगीत रहा
इस वर्ष आयोजन का केंद्रबिंदु भारतीय शास्त्रीय संगीत रहा। पद्मभूषण पंडित अजय चक्रवर्ती मुख्य अतिथि थे। प्रतिष्ठित निर्णायक मंडल में देशभर के विख्यात रंगमंच और संगीत क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल थे, जिनके अध्यक्ष प्रसिद्ध पंडित उल्हास काशलकर थे। अन्य सम्मानित जूरी सदस्यों में पंडित वेंकटेश कुमार, विदुषी अश्विनी भिड़े देशपांडे, कविता कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम और देवकी पंडित शामिल थीं। संगीत कला केंद्र ने आदित्य बिड़ला के जीवन के गौरवपूर्ण क्षणों को अमर किया है। एसकेके पुरस्कार अपने दूरदर्शी संस्थापक की स्मृति को समर्पित हैं। इस अवसर पर कुमार मंगलम बिड़ला की गरिमामयी उपस्थिति रही।
कला-जगत की श्रेष्ठ हस्तियों की उपस्थिति रही
संगीत कला केंद्र का सर्वोच्च सम्मान, आदित्य विक्रम बिड़ला कला शिखर पुरस्कार, इस वर्ष पद्मभूषण विदुषी बेगम परवीन सुल्ताना को राजश्री बिड़ला द्वारा प्रदान किया गया। यह बहुआयामी प्रतिभा भारतीय शास्त्रीय संगीत से लेकर फिल्म संगीत तक, सभी विधाओं में अपनी सृजनात्मकता के लिए जानी जाती हैं। इस ऊर्जावान संध्या में ‘मैक्सिमम सिटी’ की कला-जगत की श्रेष्ठ हस्तियों की उपस्थिति रही। महान अभिनेत्री रेखा, श्रेया घोषाल, अदिति मंगलदास और राघव सचर की शानदार प्रस्तुतियों ने दर्शकों को खड़े होकर तालियां बजाने और ‘एक और प्रस्तुति’ की मांग करने पर विवश कर दिया।
अब तक इनको किया जा चुका है सम्मानित
पूर्व वर्षों में जिन महान विभूतियों को कला शिखर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, उनमें लता मंगेशकर, पंडित भीमसेन जोशी, नसीरुद्दीन शाह, उस्ताद ज़ाकिर हुसैन, पं. शिवकुमार शर्मा, पं. विजय राघव राव और पं. राम नारायण शामिल हैं। आदित्य विक्रम बिड़ला कला किरण पुरस्कार इस वर्ष सम्मेहन काशलकर, कुमारी अंकिता जोशी और सागर मोरंकर को प्रदान किया गया। पिछले पच्चीस वर्षों से अधिक समय से आदित्य विक्रम बिड़ला पुरस्कार भारत में प्रदर्शन कलाओं के विकास और अभूतपूर्व प्रगति के सशक्त साक्ष्य रहे हैं।

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