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Tuesday, December 2, 2025

दिव्यांगजनों की बैसाखी बना समाजसेवी परवेज अली खजूरी



रवि गौतम

नित्य संदेश, परीक्षितगढ़। परवेज खजूरी का कहना हैं कि मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनकी कदमों में जान होती है और फड़फड़ाने से कुछ नहीं होता। हौसलों से उड़ान होती है इस बात को साबित कर दिया ग्राम खजूरी के रहने वाले युवा दिव्यांग परवेज अली ने, जो मोबाइल और घड़ी रिपेयरिंग की दुकान चला कर अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं। 

2010 से वे दिव्यांग जनों की बैसाखी बनी हुए है हजारों की तादाद में उन्होंने दिव्यांग जनों को आर्टिफिशियल कृत्रिम अंग जैसे के हाथ पैर कैलीपर कान की मशीन यूडी आईडी कार्डकार्ड दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाकर उनको समाज की मुख्य द्वारा धारा से जोड़ने का कार्य कर लगातार कर उन्हें लाभान्वित करवा रहे हैं अपनी आर्थिक स्थिति नाजुक होने के बाद फिर भी वह सरकारी गैर सरकारी सामाजिक संगठनों व फाउंडेशनों के मिलकर पूरे देश के दिव्यांग जनों को समय-समय लाभान्वित करवा रहे हैं उत्तर प्रदेश सरकार ने भी उन्हें वर्ष 2015 में राज्य स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है उनका मकसद है कि सिर्फ दिव्यांगजनों को समाज के मुख्य धारा से जोड़ा जाए और उन्हें हर सरकारी योजना का लाभ मिले इसके लिए दिन-रात प्रयास कर रहे हैं उनकी मेहनत और संघर्ष की चर्चा क्षेत्र में जोरों पर है

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