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Sunday, December 28, 2025

प्रसिद्ध लेखिका ज्योति जैन के काव्य-संग्रह 'दुनिया काठ की' का भव्य लोकार्पण



'दुनिया काठ की' के लोकार्पण में साहित्यकारों का जुटा संगम

सपना सीपी साहू 
नित्य संदेश, इन्दौर। शहर के साहित्यिक गलियारे में आज एक महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ा, जब 'वामा साहित्य मंच' की अध्यक्ष एवं प्रतिष्ठित लेखिका ज्योति जैन के नवीन काव्य-संग्रह 'दुनिया काठ की' का गरिमामय विमोचन संपन्न हुआ। यह लेखिका की सत्रहवीं पुस्तक है। जाल सभागृह में आयोजित इस समारोह में देश के दिग्गज साहित्यकारों और सुधी पाठकों ने शिरकत की।

सरस्वती वंदना की मोहक प्रस्तुति दिव्या मण्डलोई और वाणी जोशी ने दी। वामा की संस्थापक अध्यक्ष पद्मा राजेन्द्र ने स्वागत उद्बोधन दिया और लेखिका ज्योति जैन की सत्रह पुस्तकों के नाम वाली कविता को सुनाया। विमोचन के पश्चात चर्चा सत्र में वरिष्ठ लेखिका ज्योति जैन ने अपनी लेखन यात्रा और इस संग्रह की वैचारिक पृष्ठभूमि को साझा किया। लेखिका ने कहा कि आज भी लग रहा है कि वे कैलाश की यात्रा शुरु करने वाली है, उन्होंने जो भी लिखा है, लिखा तो उन्होंने ही है पर, लिखवाया किसने है यह पता नहीं, अब तक इतना लिख पाने को ईश्वर की कृपा बताया। दुनिया काठ की को रचने का विचार एक घटना, जिसमें एक बुजुर्ग को लकड़ी की चौखट से ठोकर लगी और उसे संभालने में भी लड़की की छड़ी सहारा बनी उसी से कौंधा। लेखिका ने अपनी कविता सुखी टहनियां, कठपुतली, बांस से संतुलन, कुल्हाड़ी का हत्था, काष्ठ की छड़ी, दाह संस्कार का वाचन किया और सभी गणमान्य की उपस्थिति पर आभार जताया।

लोकार्पण में मुख्य अतिथि डॉ. सच्चिदानंद जोशी (सदस्य सचिव, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली) ने कृति का विमोचन करते हुए कहा कि, "ज्योति जैन ख्यातिलब्ध लेखिका है उन्होंने कविताओं का जो विषय चुना है वह समाज के यथार्थ और मानवीय संवेदनाओं को बेहद गहराई से छूता हैं। लेखिका ने ऐसे अनछुए विषयों को चुना जो जीवन से गुम हो गए हैं। 'दुनिया काठ की' वर्तमान समय में संवेदनाओं की रिक्तता को भरने का प्रयास है। लेखिका की रचनाएं चौखट, बच्चों के लकड़ी, ओखली, मोगरी, निसरनी, बच्चों के खेल आदि से प्रस्तुत बिम्ब की प्रशंसा भी की। तुर्की लोकोक्ति के माध्यम से बताया कि पेड़, कुल्हाड़ी को इसलिए वोट दें रहे थे क्योंकि वह उनकी बिरादरी की थी। यह सब बिम्ब उठाकर लेखिका ने हमारी पुरानी परंपराओं, भावनाओं को पुष्पित, पल्लवित किया है। वह इस संग्रह से हम सबको जोड़ती है। 

विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित सुप्रसिद्ध लेखक एवं शिवना प्रकाशन के संस्थापक श्री पंकज सुबीर ने संग्रह की भाषाई शुद्धता और प्रतीकों की प्रशंसा करते हुए इसे हिन्दी काव्य जगत की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। लकड़ी जन्म से मृत्यु तक साथ निभाती है, आज के युग में जब लोग नई तकनीकी से जुड़ चुके है और लकड़ी के महत्व को भूल रहे है, ऐसे में यह संग्रह 'दुनिया काठ की' पथप्रदर्शक बनेगी। लिखना मनोरंजन का काम नहीं है यह समाज को दिशा देने का काम है। जब दुनिया डुबेगी तो कोई राजनैतिक दल और संगठन नहीं बचा पाएगा लेकिन एक लेखक दुनिया को बचाकर ले जाएगा। बस ऐसी ही इक्यावन कविताओं को इस संग्रह में ज्योति जैन ने लिखा है। 

कार्यक्रम का समृद्ध संचालन स्मृति आदित्य ने किया। 
अतिथियों का स्वागत डाॅ. राकेश शर्मा, डाॅ. शोभा प्रजापति, संजय भाटे, दीपक गिरकर, डाॅ. भरत रावत ने किया।
काव्य संग्रह के प्रकाशन में सक्रिय भूमिका निभाने हेतु शहरयार जी का सम्मान स्वर्णिम माहेश्वरी, चेतन कुसुमाकर ने किया। विनोद जैन ने परिवार की पाती पढ़ी और ईश्वर की सारी कला को काष्ठ का बताते हुए ज्योति जी को परिवार और साहित्य की प्रज्जवलित ज्योति बताया और उनमें भरी सकारात्मकता को सबको जागृत करने वाला बताया। 
अतिथियों को स्मृति चिन्ह संजय पटेल, आशुतोष दुबे, गरिमा संजय दुबे, अंजना मिश्रा ने भेंट किए। 

इस अवसर पर वामा साहित्य मंच की लेखिकाएं, शहर के गणमान्य नागरिक, साहित्य प्रेमी और विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के जुड़े प्रतिनिधि उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में आभार शरद जैन ने व्यक्त किया और आगामी नववर्ष 2026 के स्वागत के साथ समारोह का समापन हुआ। उपस्थित विद्वानों ने हर्ष व्यक्त किया कि यह कृति हिन्दी साहित्य की श्रीवृद्धि में सहायक सिद्ध होगी।

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