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Monday, December 22, 2025

भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की जयंती के उपलक्ष्य में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन


नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के गणित विभाग एवं यू.जी. सेल के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय गणित दिवस के अवसर पर महान भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की जयंती के उपलक्ष्य में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। 

संगोष्ठी का विषय “The Evolution of Mathematics: Ancient Roots of Modern Frontiers” रहा। यह कार्यक्रम गणित विभाग के श्रीनिवास रामानुजन सेमिनार हॉल में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती की वंदना के साथ हुआ। संगोष्ठी में विश्वविद्यालय के वरिष्ठ शिक्षाविद्, गणितज्ञ, शोधार्थी एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की।

गणित विभागाध्यक्ष प्रो. एम. के. शर्मा ने अपने स्वागत संबोधन के निष्कर्ष में कहा कि गणित समस्त विज्ञानों की आधारशिला है और विद्यार्थियों को इसे केवल अंकों तक सीमित न रखते हुए तार्किक चिंतन और समस्या समाधान की विधा के रूप में समझना चाहिए।

डॉ. सरु कुमारी ने संगोष्ठी के विषय पर प्रकाश डालते हुए निष्कर्ष रूप में कहा कि आधुनिक गणित की अनेक अवधारणाएँ प्राचीन गणितीय ज्ञान पर आधारित हैं और भारतीय गणित परंपरा ने वैश्विक स्तर पर गणित के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।


वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. एम. के. गुप्ता ने अपने निष्कर्ष में कहा कि गणित एक कालातीत विषय है, जिसमें निरंतर अभ्यास, अनुशासन और मौलिक सोच के माध्यम से ही प्रगति संभव है। सम्मानित अतिथि प्रो. (सेवानिवृत्त) एस. सी. अग्रवाल ने अपने निष्कर्षात्मक वक्तव्य में भारतीय गणितज्ञों के ऐतिहासिक योगदान की सराहना करते हुए नई पीढ़ी को भारतीय गणितीय विरासत के संरक्षण एवं प्रचार के लिए प्रेरित किया।

मुख्य अतिथि एवं कीनोट वक्ता प्रो. देवी प्रसाद त्रिपाठी ने अपने व्याख्यान में प्राचीन वेदों और भारतीय ज्ञान परंपरा के गणितीय योगदान पर विशेष प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वेदों एवं वेदांगों में गणित की उन्नत अवधारणाएँ विद्यमान थीं, जिनके आधार पर आगे चलकर आधुनिक गणित का विकास हुआ। उन्होंने उल्लेख किया कि शून्य (Zero) और अनंत (Infinity) की संकल्पना भारतीय गणितज्ञों की अनुपम देन है, जिसने विश्व गणित को नई दिशा प्रदान की। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि प्राचीन भारतीय गणितज्ञों ने वृत्त की त्रिज्या (Radius), व्यास तथा पाई (π) के मान से संबंधित सिद्धांतों पर भी महत्वपूर्ण कार्य किया। 

आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त एवं भास्कराचार्य जैसे महान गणितज्ञों के योगदान को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि आधुनिक गणित की जड़ें प्राचीन भारतीय गणित में गहराई से समाहित हैं। विज्ञान संकाय की अधिष्ठाता प्रो. जैमाला ने अपने संबोधन के निष्कर्ष में गणित की बहुविषयक उपयोगिता पर बल देते हुए कहा कि गणित विज्ञान, तकनीक, अर्थशास्त्र और सामाजिक विकास से गहराई से जुड़ा हुआ है।

कार्यक्रम का समापन आयोजन सचिव डॉ. संदीप कुमार द्वारा प्रस्तुत धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। संगोष्ठी ने श्रीनिवास रामानुजन की वैज्ञानिक विरासत को स्मरण करते हुए प्राचीन गणित से आधुनिक गणित तक की यात्रा को अत्यंत सार्थक रूप में प्रस्तुत किया।

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