तरुण आहुजा
नित्य संदेश, मेरठ। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट की खंडपीठ (बेंच) की लंबे समय से लंबित मांग को लेकर 17 तारीख (बुधवार) को बार काउंसिल एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश संघर्ष समिति द्वारा मेरठ बंद का आह्वान किया गया है। इस बंद को अभूतपूर्व सफल बनाने के लिए सभी व्यापारी भाइयों, सामाजिक संगठनों और आमजन से सहयोग की अपील की गई है।
संघर्ष समिति का कहना है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की मांग पिछले लगभग 50 वर्षों से चली आ रही है, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिल पाई है। इसके पीछे दो प्रमुख कारण बताए गए हैं—पहला, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के राजनीतिक दलों और जनप्रतिनिधियों द्वारा इस विषय को एकजुट होकर गंभीरता से नहीं उठाया जाना, और दूसरा, यह आंदोलन अब तक अधिवक्ताओं तक ही सीमित रहना, जिससे आम जनता इससे सीधे नहीं जुड़ पाई। संघर्ष समिति ने आंकड़ों के माध्यम से असमानता को उजागर करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश से छोटे राज्यों में भी एक से अधिक हाईकोर्ट बेंच हैं। उदाहरण के तौर पर महाराष्ट्र में 3, राजस्थान और मध्य प्रदेश में 2-2 बेंच हैं, जबकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बड़ी आबादी के बावजूद यहां एक भी बेंच नहीं है।
मेरठ से प्रयागराज हाईकोर्ट की दूरी 685 किलोमीटर है, जो पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद की दूरी के बराबर बताई गई है। समिति के अनुसार, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की लगभग 25 करोड़ आबादी इस मांग से सीधे तौर पर प्रभावित है। यदि मेरठ में हाईकोर्ट बेंच स्थापित होती है तो इससे आम जनता का समय और पैसा बचेगा, न्याय प्रक्रिया सरल होगी और मानसिक तनाव में कमी आएगी। इसके साथ ही रोजगार के नए अवसर, व्यापार में वृद्धि, राजस्व बढ़ोतरी और संपत्तियों के मूल्य में इजाफा होगा, जिससे पूरे क्षेत्र का सर्वांगीण विकास संभव है।
विश्व हिंदू महासंघ भारत ने भी इस बंद का पूर्ण समर्थन किया है। संगठन के प्रदेश प्रभारी (गौ रक्षा प्रकोष्ठ) संजीव अग्रवाल ने सभी सनातनी समाज, युवाओं और आम नागरिकों से सोशल मीडिया के माध्यम से भी आंदोलन को मजबूती देने और राजनीतिक दलों पर दबाव बनाकर हाईकोर्ट बेंच की मांग को उनके चुनावी घोषणा पत्र में शामिल कराने की अपील की है।
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