नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। तेज़ बुखार, प्लेटलेट्स की कमी, सांस लेने में गंभीर परेशानी और सामान्य स्थिति में गिरावट के साथ हुसैनपुर जिला मुजफ्फरनगर की 15 वर्षीय किशोरी को मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग में गंभीर अवस्था में भर्ती कराया गया।
वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आभा गुप्ता ने बताया कि जांच में पता चला कि उसे ए आर डी एस (सांस आने में गंभीर दिक्कत) के साथ-साथ सेप्टीसीमिया तथा एच अल एच जैसी अत्यंत जानलेवा स्थिति विकसित हो चुकी थी। भर्ती के समय किशोरी की हालत इतनी खराब थी कि उसे तुरंत बाईपेप (एक तरह का वेंटिलेटर) सपोर्ट पर रखना पड़ा। ए आर डी एस के कारण उसके फेफड़ों की ऑक्सीजन लेने की क्षमता बेहद कम हो गई थी और प्लेटलेट्स भी तेजी से गिर रहे थे।
इस चुनौतीपूर्ण स्थिति में मेडिसिन विभाग की डॉ. पंकज कुमार, डॉ. आरर्चित नरैन और डॉ. मंजू कसवान की टीम ने उपचार संभाला। टीम ने बीमारी की गंभीर स्थितियों को ध्यान में रखते हुए उपयुक उपचार, निरंतर मॉनिटरिंग और कई स्तरों पर संतुलित चिकित्सा रणनीति अपनाई।
किशोरी को लगभग एक सप्ताह तक बाईपेप सपोर्ट पर रखा गया। इस दौरान डॉक्टरों ने संक्रमण नियंत्रण, इम्यूनोमॉड्यूलेशन, प्लेटलेट सपोर्ट, फ्लूइड मैनेजमेंट और श्वसन देखभाल का सटीक संयोजन कर उसकी स्थिति को स्थिर करना शुरू किया। धीरे-धीरे उसकी सांसों में सुधार आने लगा, प्लेटलेट्स बढ़े और स्थिति बेहतर होने लगी।लगातार देखभाल और चिकित्सकीय प्रयासों के बाद हालत में उल्लेखनीय सुधार हुआ और अंततः उसे वेंटिलेटर सपोर्ट से मुक्त कर दिया गया।
डॉ. आभा गुप्ता ने कहा, इस तरह के मरीजों का उपचार अत्यंत चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन समय पर पहचान, टीमवर्क और सतत देखभाल ने इस युवा मरीज की जान बचाई।” परिवार ने चिकित्सा टीम के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया और इसे “जीवन का दूसरा अवसर” बताया।
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