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Tuesday, November 11, 2025

उप्र पर्यटन विभाग का महाभारत सर्किट के विकास पर जोर


परीक्षितगढ़ स्थित श्रृंगी ऋषि आश्रम का समेकित पर्यटन विकास, वित्त वर्ष 2025-26 में 02 करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत

लियाकत मंसूरी 
नित्य संदेश, मेरठ। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने महाभारत सर्किट अंतर्गत मेरठ जिला के परीक्षितगढ़ स्थित श्रृंगी ऋषि आश्रम के समेकित पर्यटन विकास की महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी दी है। 

श्रृंगी ऋषि आश्रम के संबंध में मान्यता है कि यहीं से कलयुग की शुरुआत हुई थी। महाभारत काल से जुड़ी कई घटनाएं यहां हुई हैं। महाभारत काल के साक्षी रहे श्रृंगी ऋषि आश्रम के समेकित विकास के लिए राज्य सरकार की ओर से वित्त वर्ष 2025-26 में 02 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत हुई है। यह कदम जिले को धार्मिक पर्यटन के मानचित्र पर सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह जानकारी उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी।  

मेरठ जनपद अंतर्गत आश्रम में ऋषि श्रृंगी और ऋषि शमीक की प्रतिमा है, जिनसे जुड़ी कहानियां पर्यटकों में जिज्ञासा पैदा करती है। यहां स्थित यज्ञशाला पर पदचिन्ह के निशान आगंतुकों को इतिहास से वर्तमान से जोड़ते हैं। पर्यटन मंत्री ने बताया कि 'उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग राज्य के धार्मिक स्थलों के आसपास पर्यटक सुविधाओं का तेजी से विकास कर रहा है। उन्होंने बताया कि इस प्राचीन स्थल का विशेष धार्मिक महत्व है। द्वापर युगीन पौराणिक भूमि को पर्यटन के लिहाज से विकसित किया जा रहा है।'  

*विकास कार्यों से दमकेगा परीक्षितगढ़* 
उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग परीक्षितगढ़ स्थित श्रृंगी ऋषि आश्रम के समेकित विकास के माध्यम से मेरठ को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर विशिष्ट पहचान दिलाने का महत्वपूर्ण प्रयास कर रहा है। पर्यटन विकास के अंतर्गत सौंदर्यीकरण, प्रकाश व्यवस्था, सूचना केंद्र, शौचालय, पेयजल व्यवस्था, विश्राम स्थल का निर्माण आदि सुविधाएं विकसित की जाएंगी। 

*यहीं श्रृंगी ने राजा परीक्षित को दिया था श्राप*  
भागवत महापुराण और महाभारत में भी ऋषि श्रृंगी का वर्णन है। मान्यता है, कि अर्जुन के पौत्र और अभिमन्यु के पुत्र राजा परीक्षित शिकार करने के लिए जंगल की ओर निकले थे। उन्हें अचानक तेज भूख और प्यास लगी। परेशान हालत में वो एक आश्रम में पहुंचे, तो उन्होंने ऋषि शमीक को तपस्या में लीन देखा। राजा परीक्षित ने ऋषि शमीक को कई बार उठाने का प्रयास किया, लेकिन जब वह तपस्या से नहीं जागे। तत्पश्चात, परीक्षित ने पास ही पड़े एक मृत सांप को ऋषि शमीक के गले में डाल दिया। बावजूद उनकी तपस्या भंग नहीं हुई। कथानक अनुसार, यह नजारा ऋषि शमीक के पुत्र श्रृंगी ने देख लिया। अपने पिता के अपमान से क्रोधित श्रृंगी ने कौशिकी नदी के जल से आचमन करते हुए राजा परीक्षित को सर्पदंश से मृत्यु का श्राप दे दिया।
*श्रृंगी आश्रम बना जन्मेजय के क्रोध का गवाह* 
ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार, राजा परीक्षित की तक्षक नाग के दंश से मृत्यु हो गई। राजा परीक्षित की मृत्यु के पश्चात पुत्र जन्मेजय ने क्रोधित होकर सर्प जाति को समाप्त करने का संकल्प लिया। जन्मेजय ने श्रृंगी आश्रम में ही यज्ञ शुरू की और सांपों की आहुति देने लगे। तक्षक नाग ने इंद्रदेव से मदद मांगी। भगवान इंद्र के काफी समझाने के बाद जन्मेजय ने यज्ञ रोक दिया। प्राचीन मान्यता है कि इस घटना के बाद से ही श्रृंगी आश्रम में सांप किसी को डसता नहीं है। श्रृंगी आश्रम को कलयुग की शुरुआत का स्थल माना जाता है। इस आश्रम में आज भी श्रृंगी ऋषि की तपस्या से जुड़े हवन कुंड और एक विशाल गूलर का वृक्ष मौजूद है।

*जनपद में कई अन्य धार्मिक स्थल* 
पर्यटन मंत्री ने बताया कि जनपद में श्रृंगी ऋषि आश्रम के अलावा नौचंदी परिसर स्थित मां चंडी देवी मंदिर, मेरठ कैंट स्थित बिलेश्वर नाथ मंदिर, बाबा औघड़नाथ मंदिर, इतिहास का साक्षी रहा हस्तिनापुर, गांधारी सरोवर, गोपेश्वर मंदिर, कात्यायनी देवी मंदिर आदि हैं। इन धार्मिक स्थलों की मान्यता सदियों से विद्यमान है। यहां बड़ी संख्या में पर्यटन घूमने आते हैं। 

*बड़ी संख्या में मेरठ पहुंच रहे पर्यटक* 
पर्यटन के लिहाज से मेरठ जिला पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रमुख केंद्र रहा है। महाभारत काल से जुड़ी कई मान्यताएं क्षेत्र से जुड़ी हैं। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर के करीब होने का फायदा भी आगंतुकों को मिलता है। लखनऊ या अन्य रास्तों से भी मेरठ तक पहुंचना सुलभ है। वर्ष 2024 में मेरठ आने वाले पर्यटकों की संख्या 37,78,066 रही थी, जो वर्ष 2025 के जनवरी से जून तक 10,60,531 रही। बड़ी संख्या में पर्यटक आगमन से न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है, बल्कि रोजगार के भी रास्ते खुले हैं।'

उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि 'धार्मिक पर्यटन में उत्तर प्रदेश निरंतर आगे बढ़ रहा है। मेरठ जिला अपनी पौराणिकता स्थलों के लिए विख्यात है। वहीं, मेरठ मंडल में महाभारत काल, बौद्ध और जैन से जुड़े कई पवित्र स्थल हैं। सरकार का प्रयास है कि इन स्थलों को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर और अधिक सशक्त तरीके से स्थापित किया जाए, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश की पहचान प्रमुख पर्यटन गंतव्य के रूप में स्थापित हो सके।'

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