नित्य संदेश। आज हमारा देश एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है, जहाँ तेजी से बढ़ती जनसंख्या, बढ़ती बीमारियाँ, बढ़ता प्रदूषण, घटते प्राकृतिक संसाधन और स्वास्थ्य व शिक्षा पर बढ़ते खर्च हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए हम कैसा भारत छोड़कर जा रहे हैं। यदि हम आज ही उचित कदम नहीं उठाते, तो आने वाले समय में हालात और भी गंभीर हो सकते हैं।
भारत जैसे विशाल देश में स्वास्थ्य सेवाओं का दबाव लगातार बढ़ रहा है। अस्पतालों में मरीजों की भीड़, महँगे इलाज, जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का फैलाव और पर्यावरणीय संकट हमें यह स्पष्ट संकेत देते हैं कि केवल इलाज (Curative Healthcare) पर निर्भर रहने से समस्या हल नहीं होगी। हमें प्रीवेंटिव हेल्थकेयर यानी रोकथाम आधारित स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करना ही होगा।।
बढ़ती जनसंख्या और बीमारियाँ: चुनौती या चेतावनी?
बढ़ती आबादी के साथ संसाधनों पर दबाव बढ़ना स्वाभाविक है। लेकिन इससे भी बड़ी चिंता है जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की तेज़ी से बढ़ती संख्या—
* डायबिटीज
* हाई ब्लड प्रेशर
* मोटापा
* हृदय रोग
* मानसिक तनाव
इन बीमारियों का इलाज लंबा और महँगा है, जबकि रोकथाम आसान और किफायती।
*प्रदूषण का बढ़ता असर**
वायु, जल और मिट्टी का प्रदूषण सीधे हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। हर साल लाखों लोग प्रदूषण के कारण बीमार पड़ते हैं, जिनमें बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
यदि समय रहते पर्यावरण की रक्षा नहीं की गई, तो बीमारियों का बोझ असहनीय हो जाएगा।
*घटते संसाधन: भविष्य के लिए खतरा**
पानी, ऊर्जा, जंगल—यह संसाधन लगातार घट रहे हैं। संसाधन घटने का सबसे बड़ा प्रभाव स्वास्थ्य पर पड़ता है।
साफ पानी, शुद्ध हवा और पौष्टिक भोजन हर नागरिक का अधिकार है, लेकिन तेज़ी से खराब होते पर्यावरण में यह अधिकार खतरे में है।
**स्वास्थ्य और शिक्षा पर बढ़ता खर्च**
आज एक मध्यमवर्गीय परिवार की सबसे बड़ी चिंता—
* बच्चों की शिक्षा
* परिवार का स्वास्थ्य
इन दोनों पर होने वाला खर्च लगातार बढ़ रहा है। यदि बीमारियाँ बढ़ती रहीं, तो यह आर्थिक बोझ और भी बढ़ेगा। इसलिए *रोकथाम* ही सही समाधान है।
**प्रीवेंटिव मेजर्स—एक सुरक्षित और स्वस्थ राष्ट्र की नींव**
यदि राष्ट्र को स्वस्थ और सुरक्षित रखना है, तो हमें अपने
जीवन में कुछ महत्वपूर्ण प्रीवेंटिव कदम शामिल करने होंगे:
*1. नियमित शारीरिक गतिविधि**
* रोज 30–45 मिनट व्यायाम
* साइकिल चलाना, तेज़ कदमों से चलना, योग
* बच्चों में खेल-कूद की आदत
*2. संतुलित आहार**
* ताज़ा और प्राकृतिक भोजन
* फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज
* जंक फूड और ज्यादा चीनी से परहेज़
*3. प्रदूषण नियंत्रण**
* पौधारोपण
* वाहनों का कम उपयोग
* स्वच्छता और कचरा प्रबंधन
*4. मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान**
* ध्यान, योग
* पर्याप्त नींद
* परिवार और समाज के साथ संवाद
**5. नियमित स्वास्थ्य जांच**
* बीमार होने का इंतज़ार न करें
* समय-समय पर बेसिक हेल्थ चेकअप कराएं
*साइकलोमेड फिट इंडिया की पहल**
साइकलोमेड फिट इंडिया का उद्देश्य है “हर भारतीय तक प्रीवेंटिव हेल्थकेयर की जागरूकता और सुविधा पहुँचाना।”।हम मानते हैं कि यदि हर नागरिक अपनी जीवनशैली में छोटे-छोटे सकारात्मक बदलाव करे, तो पूरा राष्ट्र स्वस्थ, सुरक्षित और मजबूत बन सकता है।
*निष्कर्ष**
देश को स्वस्थ रखना केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। प्रीवेंटिव हेल्थकेयर केवल स्वास्थ्य का उपाय नहीं, बल्कि एक *राष्ट्र निर्माण की सोच* है। अगर हम आज कदम उठाएँ और अपनी जीवनशैली सुधारें, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बेहतर, सुरक्षित और स्वस्थ भारत बनाना संभव है।
प्रस्तुति
डॉ. अनिल नौसरान
संस्थापक, साइकलोमेड फिट इंडिया
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