नित्य संदेश ब्यूरो
गाज़ियाबाद : मेनिन्जाइटिस, जिसे ब्रेन फ़ीवर के नाम से भी जाना जाता है, एक गंभीर वैक्सीन-रोकथाम योग्य संक्रमण है, जो विशेष रूप से बच्चों के लिए बड़ी स्वास्थ्य चिंता का कारण बनता है। मेनिन्जाइटिस जागरूकता पहल का उद्देश्य इस बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसे समाप्त करने के लिए वैश्विक प्रयासों को सशक्त बनाना है, ताकि समय पर पहचान और टीकाकरण के माध्यम से इसकी रोकथाम के जीवनरक्षक महत्व को समझाया जा सके।
जैन चाइल्ड केयर क्लिनिक, गाज़ियाबाद की कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन, डॉ. रिन्शु बंसल कहती हैं, “कॉलेज के छात्र, लगातार सफर करने वाले लोग और भीड़भाड़ वाली जगहों पर रहने वाले व्यक्ति मेनिन्जाइटिस के गंभीर परिणामों के अधिक जोखिम में होते हैं। समय पर टीकाकरण ही इसकी रोकथाम का सबसे प्रभावी तरीका है। टीकाकरण समय पर होने से जीवन बचते हैं, विकलांगता रोकी जा सकती है और समुदायों का भविष्य सुरक्षित होता है। जब अधिक लोग मेनिन्जाइटिस के खिलाफ टीका लगवाते हैं, तो हम सभी के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनता है।” हर वर्ष वैश्विक स्तर पर 2.5 मिलियन से अधिक मामलों की रिपोर्ट के साथ, मेनिन्जाइटिस एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बना हुआ है। इस बीमारी से होने वाली कुल मौतों में से लगभग 70% बच्चे पाँच वर्ष से कम आयु के होते हैं। मेनिन्जाइटिस या ब्रेन फ़ीवर मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को ढकने वाली झिल्ली (मेनिंजीज़) में सूजन के कारण होता है, जो प्रायः बैक्टीरियल, फंगल या वायरल संक्रमण से उत्पन्न होती है। मेनिन्जाइटिस के क्लिनिकल लक्षण कारण, बीमारी की प्रगति (तीव्र, उप-तीव्र या पुरानी), मस्तिष्क की भागीदारी (मेनिंगो-एन्सेफलाइटिस) और प्रणालीगत जटिलताओं (जैसे सेप्सिस) पर निर्भर करते हैं। इसके आम लक्षणों में गर्दन में अकड़न, तेज बुखार, भ्रम या मानसिक स्थिति में बदलाव, सिरदर्द, मतली और उल्टी शामिल हैं। कम सामान्य लक्षणों में दौरे, कोमा और न्यूरोलॉजिकल समस्याएँ जैसे सुनने या देखने की क्षमता में कमी, संज्ञानात्मक हानि या अंगों में कमजोरी शामिल हो सकते हैं। भारत मेनिन्जाइटिस से होने वाली सबसे अधिक मौतों वाले शीर्ष तीन देशों में शामिल है। तीव्र बैक्टीरियल मेनिन्जाइटिस के तीन प्रमुख रोगजनकों में से निसीरिया मेनिन्जाइटिडिस उपचार के बावजूद लगभग 15% और बिना उपचार के 50% तक की उच्च मृत्यु दर के लिए जिम्मेदार है। अध्ययनों में भारतीय बच्चों (2 वर्ष से कम आयु) में निसीरिया मेनिन्जाइटिडिस के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है।
इस घातक बीमारी से लड़ने के लिए इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (IAP) 9–23 महीने की आयु के बच्चों के लिए मेनिंगोकोकल वैक्सीन की 2-डोज़ अनुसूची और 2 वर्ष से अधिक आयु के उच्च जोखिम वाले बच्चों के लिए एकल डोज़ की सिफारिश करती है। यदि आपका बच्चा 9 महीने या उससे अधिक आयु का है, तो सुनिश्चित करें कि उसे इनवेसिव मेनिंगोकोकल डिज़ीज़ के खिलाफ टीका अवश्य मिले। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी वर्ष 2030 तक बैक्टीरियल मेनिन्जाइटिस महामारी को समाप्त करने के उद्देश्य से एक रोडमैप शुरू किया है, जिसमें वैक्सीन से रोकी जा सकने वाली बीमारियों के मामलों में 50% और मौतों में 70% की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है। मेनिन्जाइटिस जागरूकता पहल को आगे बढ़ाते हुए, आइए हम अपने बच्चों और समुदायों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हों। आज उठाए गए एहतियाती कदम आने वाले कल में जीवन बचा सकते हैं और सभी के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं।
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