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Sunday, November 23, 2025

अस्थायी पुल की कमजोरी उजागर, भारी वाहनों का चलना बना खतरा

 


-अस्थायी पुल बना स्थायी मुसीबत: हर बार धंसता पुल, हर रोज़ जाम—लोग पूछ रहे कब मिलेगी राहत?

नित्य संदेश ब्यूरो

सरूरपुर। सरधना–बिनौली रोड पर संजय गांधी पीजी कॉलेज के सामने सलावा राइट माइनर पर बनाया गया अस्थायी पुल अपने निर्माण के दिन से ही लोगों के लिए परेशानियों का कारण बना हुआ है। शुरुआत से ही इसकी मजबूती और संरचना पर सवाल उठते रहे, लेकिन हालात पिछले दो दिनों में पूरी तरह बेकाबू हो गए।


बतादे कि दो दिन पहले रोड़ी से भरा भारी ट्रक अचानक पुल की मिट्टी में धंस गया, जिससे पूरा ढांचा एक ओर झुक गया और सड़क पर अफरा-तफरी मच गई। सौभाग्य से कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन इसके बाद से पूरे क्षेत्र की यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई। शनिवार को भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। सुबह होते ही दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गईं और दोपहर तक यह लाइनें कई किलोमीटर तक फैल चुकी थीं। रविवार को फिर वही हाल हुआ, जिसमें एक गन्नों से लदी ट्रैक्टर-ट्राली फंस गईं। फिर वही जाम के हाहाकार से राहगीर परेशान रहे और लम्बा चक्कर लगाकर जाने को मजबूर हुए। अस्थायी पुल की स्थिति पहले से ही कमजोर थी और जब से इसे बनाया गया है, तब से हर कुछ दिनों में इसी तरह कोई न कोई वाहन इसमें धंस जाता है। पुल की मिट्टी बार-बार बैठ जाने से जाम लगना आम हो गया है, लेकिन प्रशासन की ओर से न तो पुल को मजबूत करने की पहल की गई है और न ही वैकल्पिक व्यवस्था बनाई गई है।


भीषण जाम के कारण राहगीरों का धैर्य टूटा

कॉलेज जाने वाले विद्यार्थी, ऑफिस कर्मचारियों, मरीजों, बुजुर्गों और महिलाओं को लंबे समय तक धूप में खड़े रहना पड़ा। हालत इतनी खराब हो गई कि कई स्थानों पर लोग अपनी बाइक और कारें सड़क किनारे छोड़कर पैदल ही आगे बढ़ते नज़र आए। जो लोग जरूरी काम से शहर की ओर जा रहे थे, वे घंटों तक फंसे रहे और दिनभर की योजनाएं धरी की धरी रह गईं। स्थानीय लोगों ने बताया कि जब से अस्थायी पुल बनाया गया है, तब से यहां रोज़ खराबी, धंसान और जाम की स्थिति बनी रहती है। हल्की बारिश, भारी वाहन या लगातार ट्रैफिक—कोई भी कारण इस पुल को प्रभावित करने के लिए काफी है। ग्रामीणों ने इसे “अस्थायी पुल नहीं, स्थायी समस्या” करार दिया।


ग्रामीण बोले, करना पड़ेगा आंदोलन

स्थिति बिगड़ती देख आस-पास के ग्रामीणों ने स्वयं आगे आकर फंसे हुए यात्रियों को डाहर गांव की ओर से निकलने वाले कच्चे रास्ते से पार करवाना शुरू किया। लोगों ने प्रशासन से बार-बार संपर्क कर इस समस्या से निजात दिलाने की मांग की, लेकिन मौके पर कोई जिम्मेदार अधिकारी नजर नहीं आया। लोगों का कहना है कि यदि स्थिति इसी तरह बनी रही तो उन्हें प्रशासन के खिलाफ बड़ा आंदोलन करना पड़ेगा।

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