नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ: हृदय रोग आज भारत की सबसे गंभीर और लगातार बढ़ती महामारी बन चुका है। हर घंटे देश के कई परिवारों में किसी अपने की जान एक ऐसे कार्डियक इवेंट के कारण चली जाती है, जिसे रोका जा सकता था—हार्ट अटैक, अचानक कार्डियक अरेस्ट, अनकंट्रोल्ड ब्लड प्रेशर या लंबे समय से चल रही डायबिटीज़ की जटिलताओं के कारण। चिंताजनक बात यह है कि यह बीमारी अब युवाओं में तेजी से बढ़ रही है। आज 30 और 40 वर्ष की उम्र वाले लोगों में भी एडवांस्ड कोरोनरी डिज़ीज़, हार्ट फेल्योर या लगातार थकान के रूप में छिपी हुई कार्डियक समस्या आम होती जा रही है।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज के CTVS, कार्डियक साइंसेज विभाग के सीनियर डायरेक्टर डॉ. वैभव मिश्रा ने बताया कि “विशेषज्ञों के अनुसार इसकी वजह है—लाइफस्टाइल, जेनेटिक्स और पर्यावरण का मिश्रण। औसत भारतीय अधिक काम करता है, कम सोता है, जल्दी-जल्दी खाता है और नियमित व्यायाम नहीं करता। लगातार तनाव, प्रदूषण और हाई सॉल्ट, हाई शुगर तथा हाई ट्रांस-फैट वाले खाद्य पदार्थों का सेवन हमारे पहले से ही संवेदनशील जेनेटिक प्रोफ़ाइल को और कमजोर करता है। डायबिटीज़—जो कि भारत की दूसरी साइलेंट महामारी है—हृदय रोग को सबसे तेज़ बढ़ावा देती है। “बॉर्डरलाइन शुगर” भी धीरे-धीरे ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचाती रहती है। ऐसे में यदि धूम्रपान, मोटापा, हाई BP या परिवार में जल्दी हार्ट अटैक का इतिहास जुड़ जाए, तो जोखिम कई गुना बढ़ जाता है।“
कई गंभीर कार्डियक समस्याओं से पहले शरीर छोटे-छोटे संकेत देकर चेतावनी देता है, जिन्हें लोग अक्सर मामूली समझकर नजरअंदाज़ कर देते हैं। बिना वजह सीने में भारीपन या जलन, सामान्य कामों में सांस फूलना, अचानक थकान या सहनशक्ति में कमी, तेज़ या अनियमित धड़कन, पैरों में सूजन, तथा चक्कर आना या बेहोशी जैसा महसूस होना—ये सभी शुरुआती लक्षण दिल की बीमारी की ओर इशारा कर सकते हैं। इन संकेतों को गंभीरता से लेना और समय पर जांच कराना आगे होने वाले बड़े जोखिमों को रोक सकता है।
दुर्भाग्य से अधिकतर लोग इन लक्षणों को गैस, स्ट्रेस, एसिडिटी या उम्र बढ़ने का असर समझकर टाल देते हैं, जिसके कारण इलाज में देरी होती है—और यही देरी कई बार रोग को रिवर्स करने की बजाय जीवनभर के नुकसान में बदल देती है।
डॉ. वैभव ने आगे बताया कि “पिछले दशक में कार्डियोलॉजी में बेहतरीन प्रगति हुई है। आज साधारण ECG, इको या स्ट्रेस टेस्ट से बीमारी को बहुत पहले पकड़ना संभव है। मिनिमली इनवेसिव ट्रीटमेंट—जैसे एंजियोप्लास्टी, वॉल्व रिपेयर और मॉडर्न हार्ट रिद्म प्रक्रियाएं—रोगियों को जल्दी रिकवरी और सामान्य जीवन में तेज़ी से वापसी का मौका देती हैं। लेकिन ये सभी प्रगति तभी फ़ायदेमंद है जब मरीज समय पर अस्पताल पहुँचें। सबसे बड़ी चुनौती अभी भी देर से अस्पताल आना है, खासकर उन इलाकों में जहाँ जागरूकता कम है और लोग संकट की स्थिति आने तक लक्षणों को नजरअंदाज़ करते रहते हैं। प्रिवेंशन ही हृदय रोग से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है। यदि हर परिवार कुछ सरल आदतें अपनाए, तो दिल की बीमारियों का जोखिम काफी हद तक कम किया जा सकता है। रोज़ 30 मिनट तेज़ चलना, भोजन में नमक-शक्कर और पैक्ड या डीप-फ्राइड चीज़ों को सीमित करना, साथ ही BP, कोलेस्ट्रॉल और शुगर जैसे महत्वपूर्ण नंबरों को नियमित रूप से मॉनिटर करना अत्यंत आवश्यक है। धूम्रपान पूरी तरह छोड़ देना चाहिए क्योंकि इसका कोई सुरक्षित स्तर नहीं होता। इसके अलावा, किसी भी तरह के शुरुआती लक्षणों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए, क्योंकि शरीर पहले हल्के संकेत देता है और समय रहते ध्यान देना गंभीर जटिलताओं को रोक सकता है।“
हम एक ही पैटर्न बार-बार देखते हैं—मरीज देर से आते हैं, कई दिनों तक घरेलू नुस्खे या ऑनलाइन सलाह आज़माने के बाद। समय पर की गई जांच जान बचाती है, दिव्यांगता कम करती है और इलाज का खर्च भी घटाती है। कार्डियक विशेषज्ञ होने के नाते हमारी भूमिका सिर्फ सर्जरी करने तक सीमित नहीं है, बल्कि मरीज का आत्मविश्वास और जीवन की गुणवत्ता वापस लाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। आधुनिक कार्डियक विज्ञान ने हमें उन्नत उपचार दिए हैं, लेकिन सबसे बड़ा हथियार अभी भी जागरूकता है।
यदि आप या आपके परिवार के किसी सदस्य में डायबिटीज़, हाई BP, मोटापा, धूम्रपान, परिवार में हार्ट रोग का इतिहास, या कोई लगातार लक्षण मौजूद हैं, तो देर न करें और समय रहते हार्ट चेक-अप कराएं। हृदय रोग अचानक आता है, लेकिन जल्दी जांच इसकी पूरी कहानी बदल सकती है। आपका दिल ही आपकी जिंदगी की ऊर्जा है—उसकी देखभाल करें, और वह आपकी जीवन यात्रा को सुरक्षित और मजबूत बनाए रखेगा।
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