अशोक कुमार
नित्य संदेश, मेरठ। दूषित पानी पीने से सदर के रविन्द्रपुरी में दो दर्जन परिवारों के बीमार होने के बाद भी छावनी में दूषित पेयजल आपूर्ति की स्थिति फिलहाल सुधरती नजर नहीं आ रही है।
रविन्द्रपुरी समेत तमाम ऐसे इलाके हैं आज अभी भी नाले -नालियों से होकर पाइप लाइनें घरों में जा रहे हैं। नालियों से होकर जा रहे पेयजल आपूर्ति करने वाले तमाम पाइप गल चुके हैं। ज्यादातर लीक हो रहे हैं। लीक हो रहे इन पाइपों से नालियों की गंदगी घरों तक पहुंच रही हैं। गले हुए पाइपों से जो पेयजल आपूर्ति हो रही है वह दूषित है। यह दूषित पेयजल छावनी इलाके में बीमारियां परोस रहा है।
रविन्द्रपुरी का मामला इसलिए हाइक हो गया क्योंकि वहां जितने भी लोग बीमार हुए वो सभी कैंटोनमेंट हॉस्पिटल में जाकर एडमिट हो गए। मामला तूल पकड़ा तो सीईओ कैंट, इंजीनियरिंग सेक्शन हेड और ओएस सरीखे अफसर कैंटोनमेंट हॉस्पिटल पहुंच गए, यह बात अलग है कि समस्या जस की तस बनी हुई है।
पाइप बदलें तो मिले राहत....
रविन्द्रपुरी प्रकरण के बाद जब बवाल मचा तो कैंट प्रशासन ने फरमान जारी कर दिया कि रविन्द्रपुरी समेत पूरे छावनी क्षेत्र में जिन घरों के पाइप नाले नालियों में डूबे हुए हैं वो लोग खुद ही अपने पाइप सही कराएं, लेकिन सूत्रों की मानें तो कैंट बोर्ड के अफसरों का यह फरमान एकदम गलत है। नाले नालियों में डूबे जो पाइप घरों में जा रहे हैं उनके रखरखाव का दायित्व कैंट बोर्ड का है। जो पाइप घरों के भीतर है उनके रखरखाव का जिम्मा गृहस्वामी का है।
लोगों का कहना नाले नालियों की सफाई हो तो समस्या स्वयं ही निपट जाएगी। इसलिए रविन्द्रपुरी सरीखी घटना दोबारा ना हो इसके लिए जरूरी है कि कैंट बोर्ड प्रशासन घरों में जा रहे तमाम पेयजल आपूर्ति के पाइपों की मरम्मत कराए।
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