नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ: भारत में कैंसर का कुल बोझ लगातार बढ़ रहा है और महिलाओं में यह दर पुरुषों की तुलना में थोड़ी अधिक है। महिलाओं में सबसे सामान्य कैंसरों में ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर शामिल हैं, जबकि ओवेरियन कैंसर महिलाओं में कैंसर से होने वाली मृत्यु का प्रमुख कारण है। कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे जनसंख्या वृद्धि, मोटापा, निष्क्रिय जीवनशैली, धूम्रपान और पश्चिमी खानपान जैसी आदतें जिम्मेदार हैं। स्त्री रोग संबंधी कैंसरों में सर्वाइकल कैंसर, यूटेराइन कैंसर, ओवरी कैंसर और वल्वर कैंसर शामिल हैं।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत के गाइनेकोलॉजिक ऑन्कोलॉजी विभाग की कंसल्टेंट डॉ. वैशाली पालीवाल ने बताया कि “सर्वाइकल कैंसर ऐतिहासिक रूप से सबसे आम गाइनेकोलॉजिकल कैंसर रहा है। इसका मुख्य कारण ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) नामक संक्रमण है, जो लगभग 70% सर्वाइकल कैंसर मामलों के लिए जिम्मेदार है। हालांकि इसके लिए प्रभावी स्क्रीनिंग और रोकथाम के उपाय मौजूद हैं, फिर भी अधिकतर मरीज देर से, यानी एडवांस्ड स्टेज में पहुंचते हैं। सभी महिलाओं को हर तीन साल में एक बार पैप स्मीयर टेस्ट करवाना चाहिए। इसके अलावा, 9 से 14 वर्ष की आयु के लड़के और लड़कियों को HPV वैक्सीन अवश्य लगवानी चाहिए। नियमित स्क्रीनिंग और टीकाकरण के माध्यम से हम सर्वाइकल कैंसर को लगभग समाप्त कर सकते हैं।“
डॉ. वैशाली ने आगे बताया कि “ओवरी कैंसर भारत में महिलाओं की कैंसर से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण है। इसे “व्हिस्परिंग कैंसर” कहा जाता है क्योंकि इसके लक्षण बहुत हल्के होते हैं और अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिए जाते हैं। 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में लगातार पेट फूलना, मलत्याग की आदतों में बदलाव, पेट या निचले हिस्से में दर्द, पेशाब की आवृत्ति में बदलाव, कब्ज या पीरियड्स में गड़बड़ी जैसे लक्षणों को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। अधिकतर मरीज एडवांस्ड स्टेज में आते हैं, जहां 5 साल तक जीवित रहने की संभावना केवल 20% होती है। लगभग 25% मामलों में यह आनुवंशिक (जेनेटिक) भी हो सकता है। इसका इलाज बड़े ऑपरेशन और कीमोथेरेपी के माध्यम से किया जाता है। सर्जरी की गुणवत्ता ओवरी कैंसर में सर्वाइवल रेट बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अभी तक इसके लिए कोई प्रभावी स्क्रीनिंग विधि उपलब्ध नहीं है, लेकिन जिनके परिवार में ऐसे कैंसर का इतिहास है, वे जेनेटिक काउंसलर से परामर्श कर सकते हैं और जेनेटिक टेस्टिंग करा सकते हैं।“
पिछले एक दशक में यूटेराइन कैंसर के मामलों में निरंतर वृद्धि हुई है, जिसका कारण मोटापा, निष्क्रिय जीवनशैली, डायबिटीज जैसी मेटाबॉलिक बीमारियां और पश्चिमी खानपान की आदतें हैं। यह सबसे ज्यादा क्युरेबल (ठीक होने योग्य) स्त्री रोग संबंधी कैंसर है। इसका इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन के संयोजन से किया जाता है। शुरुआती चरण के मामलों में रोबोटिक और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी को सुरक्षित और प्रभावी माना जाता है। लगभग 5% मामले आनुवंशिक होते हैं, जो एक सिंड्रोम से जुड़े होते हैं जिसमें कोलोरेक्टल, ब्रेस्ट, किडनी और ब्लैडर कैंसर का जोखिम भी बढ़ जाता है। सही जांच से ऐसे मरीजों की पहचान कर परिवार के अन्य सदस्यों की स्क्रीनिंग कराना संभव है।
वल्वार कैंसर भी HPV संक्रमण से संबंधित है और यह उन बीमारियों में अधिक देखा जाता है जहां शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, जैसे डायबिटीज, HIV संक्रमण या ट्रांसप्लांट के बाद की स्थिति।
स्त्री रोग संबंधी कैंसरों में देर से पहचान, सामाजिक झिझक, जागरूकता की कमी और असमान स्वास्थ्य सुविधाएं, महिलाओं की जीवित रहने की दर को प्रभावित करती हैं। सही समय पर उपचार और मल्टीडिसिप्लिनरी विशेषज्ञों की टीम का सहयोग महिलाओं में कैंसर देखभाल की दिशा में परिवर्तन ला सकता है।
No comments:
Post a Comment