नित्य संदेश ब्यूरो
मुज़फ़्फ़रनगर। विश्व उर्दू दिवस एवं राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर उर्दू डवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन द्वारा नवाब अज़मत अली ख़ान गर्ल्स इंटर कॉलेज में एक भव्य सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्रतिभाशाली छात्रों, शिक्षकों, उर्दू प्रेमियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. शमीमुल हसन ने की, जबकि संचालन का दायित्व ज़िला अध्यक्ष कलीम त्यागी ने निभाया। आयोजन का मुख्य उद्देश्य उर्दू भाषा के प्रचार-प्रसार और समाज में उसकी अहमियत को रेखांकित करना रहा। समारोह में मंच पर मुख्य अतिथि उर्दू अदीब व अलीगढ से आए चौधरी निहाल सिंह, हाजी अकरम कुरैशी (चेयरमैन शाहपुर), मौलाना अकरम नदवी और हारून अली ठेकेदार को सम्मानित किया गया। यहाँ शामली में तैनात शिक्षक जुबैर अहमद क़ो उर्दू और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में योगदान के लिए “मुबीन अहमद एवार्ड” से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्य अतिथि चौधरी निहाल सिंह ने कहा उर्दू केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति और साझी विरासत की पहचान है। हमें इसके विकास के लिए स्वयं आगे आना होगा। आज से हम संकल्प लें कि अपने घरों में उर्दू अख़बार मंगवाकर पढ़ेंगे और इसे रोज़मर्रा की भाषा बनाएंगे। संगठन के संयोजक तहसीन अली असारवी ने बताया कि उर्दू डवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन वह संस्था है जिसने उर्दू के अधिकारों के लिए उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक संघर्ष किया है। उन्होंने कहा हमें उर्दू को अपनाना और अपनी आने वाली पीढ़ी को सिखाना होगा ताकि यह भाषा सदियों तक ज़िंदा रहे।
कार्यक्रम में उर्दू दिवस और शिक्षा दिवस पर विशेष सत्र आयोजित किया गया, जिसमें उर्दू की साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत पर चर्चा हुई। इस अवसर पर जिले भर के 276 प्रतिभाशाली छात्रों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने उर्दू प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। इस अवसर पर मास्टर इरफ़ान अली व डॉ. युसूफ को उर्दू के प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय योगदान के लिए और चौ० निहाल को अदबी क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हेतु अल्लामा इक़बाल अवार्ड, मौलाना अकरम नदवी को मौलाना अबुल कलाम अवार्ड से सम्मानित किया गया। इरशाद राव की सराहनीय सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। जिला अध्यक्ष कलीम त्यागी ने कहा कि उर्दू हमारी गंगा-जमनी तहज़ीब की भाषा है। अगर युवा अल्लामा इक़बाल की शायरी को समझें, तो उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है।
संरक्षक असद फारूकी ने कहा कि जब तक जुनून रहेगा, उर्दू ज़िंदा रहेगी। यह भाषा अपनी मिठास और अदब से दिलों को जोड़ती है।
यहाँ डॉ० शमीमुल हसन, हाजी सलामत राही, कलीम त्यागी, तहसीन अली, हाजी शाहिद त्यागी, शमीम क़स्सार, मौलाना मूसा कासमी, डॉ. सलीम सलमानी, महबूब आलम एडवोकेट, अल्ताफ मशाल, डॉ. फर्रुख हसन, नदीम मलिक, डॉ. अकील, आफताब त्यागी, कारी सलीम मेहरबान, गुलफाम अहमद, शहजाद त्यागी, तोहिद, खलील अहमद, साजिद खान इम्तियाज़ अली, रईसुद्दीन राणा, साजिद त्यागी, इशरत त्यागी समेत कई प्रतिष्ठित शिक्षाविद, समाजसेवी और उर्दू प्रेमी मौजूद रहे । कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रधानाचार्या सफिया बेगम की अहम् भूमिका रही।

No comments:
Post a Comment