नित्य संदेश। हमने देश के विपक्ष कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष की स्वप्न सी, मनगढ़त मंशा सुनी कि देश की गड़बड़ियों का कारण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) है और उसे बैन कर देना चाहिए। यह अभी तो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे बोल रहे हैं और इसके पूर्व भी कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह, राहुल गांधी ऐसी उल-जलूल इच्छाएं प्रकट करते रहे हैं। इनकी ऐसी बातों का परिणाम इनके वोट बैंक पर पड़ रहा है। ये सभी संघ विचारधारा से अपरिचित हैं क्योंकि वास्तव में ये लोग कभी संघ शाखाओं में गए नहीं और इनमें से जो गए हैं, जिनके मन में भारत माता के प्रति अगाध श्रद्धा रही, वे वही के होकर रह गए। खैर, जिनका उद्देश्य देश से पहले राजनीति की मलाई खाना है, वे ही संघ जैसे राष्ट्रवादी संगठन की बुराई करते है। 
एक बात देखने व समझने योग्य है, कांग्रेसी हमेशा संघ को प्रतिबंधित करने की बात करते हैं जबकि जो इससे जुड़े राष्ट्रवादी हैं, वे सब भारतीय और सनातनी हैं। वही कांग्रेसी कभी भी सक्रिय आतंकवादी और उग्रवादी संगठनो को कभी सीधे तौर पर बैन करने की नहीं कहते। ऐसे संगठनों में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिद्दीन, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) (वामपंथी उग्रवादी समूह), अल-कायदा, इंडियन मुजाहिदीन, पूर्वोत्तर के कई समूह और विदेशों से फंडिंग होने वाली तबलीगी जमात को बैन करने की बात कभी नहीं कहती। इसका मतलब तो स्पष्ट है कि इन्हें जो भी देशभक्त और सनातनी है, उनसे ही चिढ़ है।
ये कलुषित मानसिकता दिखाते हुए भारत के एक वृहद सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन आरएसएस को बैन करना चाहते हैं, जिसकी नींव 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने रखी थी और जो समय-समय पर कांग्रेस की गलत बातों का विरोध करते आए हैं, इसलिए कांग्रेस की अपनी राजनैतिक जमीन खिसकी भी है। वरना तो संघ का स्पष्ट उद्देश्य है कि - राष्ट्र को परम वैभव तक ले जाना, व्यक्ति निर्माण के माध्यम से राष्ट्र पुनर्निर्माण, भारतीय संस्कृति और विरासत का संरक्षण एवं संवर्धन, समाज में अनुशासन, एकता और सेवा भाव को बढ़ावा देना, हिंदू समाज का संगठन और उसकी शक्ति को बढ़ाना, आपसी समन्वय और संचार स्थापित करना।
कांग्रेसी जानते ही नहीं कि संघ को ये लोग चाहकर भी कभी प्रतिबंधित नहीं कर सकते क्योंकि भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संघ की 83,000 शाखाएं चलती हैं। अपने मूल संगठन यानी शाखाओं के विशाल तंत्र (नेटवर्क) के माध्यम से चरित्र निर्माण और राष्ट्रभक्ति के विचारों को पोषित करने के साथ-साथ, आरएसएस ने समय के साथ समाज के लगभग हर क्षेत्र में, काम करने के लिए अलग-अलग संगठनों को प्रेरित किया है। इन सभी संगठनों को सामूहिक रूप से संघ परिवार कहा जाता है। संघ परिवार की यह संरचना दर्शाती है कि स्वयंसेवक राष्ट्र जीवन के विविध आयामों राजनीति, भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक, चिकित्सा, कला और शिक्षा, खेल, तकनीकी आदि सभी जगह सक्रिय हैं। संघ कोई एक कांग्रेस जैसी पार्टी नहीं है। यह 75% भारतीयों का एक वृहद संगठन है। जिसमें सम्मिलित होने के लिए बस हृदय में देशप्रेम चाहिए और वह क्षेत्र जिसमें आपकी रूचि हो। सीधे शब्दों में कहूं तो जिस राष्ट्र प्रेमी की जैसी चाह है वह अपने जैसे अच्छे मित्रों को संघ से जोड़ सकता है। तभी तो देखिए कि संघ के पितृ पुरुष हेडगेवार जी ने मात्र पांच लोगो के साथ जो संघ शाखा लगाई थी, आज वह भारत में पचास हजार से अधिक शाखाएं बन चुकी है और जिसके सक्रिय सदस्य लगभग 90 लाख होने का अनुमान है। यह केवल शाखाओं पर सक्रिय सदस्यों की संख्या है उनके परिवारों की नहीं। इसके अलावा संघ के जो परिवार है उनमें आधारभूत शक्ति वर्तमान में, पूरे भारत सहित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 83,000 से अधिक शाखाएं (दैनिक, साप्ताहिक और मासिक) कार्यरत हैं। इन शाखाओं में स्वयंसेवक शारीरिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास के लिए एकत्र होते हैं।
संघ के प्रमुख अनुषांगिक संगठन (क्षेत्रानुसार)
संघ परिवार का प्रभाव विभिन्न कार्यक्षेत्रों में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। यहां प्रमुख संगठनों का विस्तृत उल्लेख है:
1. राजनीतिक, श्रम एवं आर्थिक क्षेत्र
# भारतीय जनता पार्टी (भाजपा): संघ परिवार का सबसे प्रमुख राजनीतिक चेहरा।
# भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस): देश का सबसे बड़ा मजदूर संगठन।
 # भारतीय किसान संघ: किसानों की आवाज और हितों की रक्षा।
 # लघु उद्योग भारती: छोटे उद्योगों को बढ़ावा।
 # स्वदेशी जागरण मंच: स्वदेशी अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन।
 # सहकार भारती: सहकारी आंदोलन को मजबूत करना।
 # लग्न भारती: विवाह और पारिवारिक मूल्यों को संरक्षण।
2. शिक्षा, युवा और संस्कृति क्षेत्र
 # विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान: देशभर में हजारों स्कूल चलाता है।
 # अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी): छात्रों का सबसे बड़ा संगठन।
 # विश्व हिंदू परिषद (विहिप): हिंदू समाज की एकता और संस्कृति संरक्षण।
 # बजरंग दल: युवा शाखा, साहस और सेवा का प्रतीक।
 # दुर्गा वाहिनी: महिला शाखा, नारी शक्ति का जागरण।
 # संस्कार भारती: कला और संस्कृति का संवर्धन।
 # प्रज्ञा प्रवाह: बौद्धिक चिंतन और वैचारिक मंच।
 # साहित्य भारती: साहित्य और लेखन के माध्यम से राष्ट्रभक्ति।
 # अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ: शिक्षकों का संगठन।
 # संस्कृत भारती: संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार।
3. सेवा और सामाजिक समरसता क्षेत्र
 # सेवा भारती: गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा।
 # वनवासी कल्याण आश्रम: आदिवासी क्षेत्रों में विकास और शिक्षा।
 # राष्ट्र सेविका समिति: महिलाओं का स्वतंत्र संगठन।
 # राष्ट्रीय सिख संगत: सिख समुदाय के साथ समन्वय।
 # हिंदू स्वयंसेवक संघ (एचएसएस): विदेशों में संघ की शाखाएं।
 # नेशनल मेडिकोज ऑर्गनाइजेशन (एनएमओ): डॉक्टरों का संगठन।
 # सेवा अंतरराष्ट्रीय: आपदा राहत और अंतरराष्ट्रीय सेवा।
 # राष्ट्रीय मुस्लिम मंच: मुस्लिम समुदाय के साथ राष्ट्रवादी जुड़ाव।
 # गरीब कल्याण मंच: गरीबी उन्मूलन के प्रयास।
# समदृष्टि, क्षमता विकास एवं अनुसंधान मंडल (सक्षम): दिव्यांग जन हेतु 
# एकल विद्यालय फाउंडेशन: एकल शिक्षक स्कूलों का नेटवर्क।
4. ज्ञान, शोध और इतिहास क्षेत्र
 # विज्ञान भारती (विभा): विज्ञान और तकनीकी का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण।
 # अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना: इतिहास का पुनर्लेखन और संकलन।
 # दीनदयाल शोध संस्थान (डीआरआई): पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों पर शोध।
 # भारत नीति प्रतिष्ठान: नीति निर्माण और विचार मंथन।
 # प्राच्य विद्या संस्थान: प्राचीन ज्ञान का अध्ययन।
5. खेल, पर्यावरण और अन्य क्षेत्र
 # भारतीय खेल प्राधिकरण (संघ प्रेरित): खेलों में राष्ट्रभक्ति।
 # पर्यावरण संरक्षण मंच: वन और पर्यावरण संरक्षण।
 # गो संवर्धन मंच: गोपालन और गो-रक्षा।
 # विदेशी मामलों का मंच: अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भारत की आवाज।
यह केवल प्रमुख रजिस्टर्ड संघ परिवार है और इसके अतिरिक्त भी अन्य ऐसे परिवार है जो संघ परिवार का ही अंग है।
अंततः संघ परिवार के ये सभी संगठन, भले ही अपने कार्यक्षेत्र में स्वतंत्र रूप से कार्य करते हैं, लेकिन सभी का लक्ष्य व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र उत्थान के साझा दर्शन को पूरा करना है। यह विशाल नेटवर्क संघ की विचारधारा को समाज के हर वर्ग और हर कोने तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। समझने योग्य बात है कांग्रेस किस-किस जगह और क्षेत्र में प्रतिबंध लगाने की बात कहेगी और किस कारण बैन लगाएगी? संघ और जितने भी संघी है, वह राष्ट्र सर्वोपरी और सेवा परमोधर्म का भाव लिए चलते है, आपदा प्रबंधन में सबसे आगे कर्मनिष्ठ रहते है। जब कांग्रेसी, आरएसएस पर प्रतिबंध की बातें करते हैं तो वास्तव में वह सिर्फ संघ का नहीं बल्कि इतने सामाजिक, राष्ट्रीय, भौगोलिक परिवारों का विरोध एक साथ करते हैं और भारत की सबसे पुरानी पार्टी जो अंग्रेज ए.ओ. ह्यूम द्वारा स्थापित की गई हो, उसमें राष्ट्रवादी संगठन से चिढ़ना स्वाभाविक है पर कांग्रेसी ऐसी कोरी बयानबाजी से अपनी ही शाख पर बट्टा लगवाते हैं इसलिए ही कांग्रेस सीधे-सीधे देशभक्तों से दूर हो रही है और उसे ऐसी बयानबाजी करने से पहले मर्यादा सीखना चाहिए।
लेखिका
सपना सी.पी. साहू "स्वप्निल"
इंदौर, मध्य प्रदेश 
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