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Friday, October 24, 2025

“तेजगढ़ी प्रकरण” में पुलिस पर लगाया एक तरफा कार्रवाई का आरोप


-काज़ीपुर में हुई सर्वसमाज की आपातकालीन बैठक, रविवार को होगा आंदोलन

नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ। ग्राम काज़ीपुर में सर्वसमाज की एक आपातकालीन बैठक आयोजित की गई, जिसमें हाल ही में चर्चित “तेजगढ़ी प्रकरण” में पुलिस प्रशासन द्वारा की गई एक तरफा और पक्षपातपूर्ण कार्रवाई की कड़ी निंदा की गई।

बैठक में उपस्थित ग्रामीणों एवं सामाजिक प्रतिनिधियों ने बताया कि इस प्रकरण में हैप्पी भड़ाना, सुबोध यादव एवं आयुष शर्मा तीनों पूर्णत: निर्दोष हैं, जिन्हें बिना पर्याप्त जांच और साक्ष्यों के जेल भेज दिया गया, जबकि वास्तविक मुख्य आरोपी विपुल चपराना ने शीघ्रता से जमानत प्राप्त कर ली है। वक्ताओं ने कहा कि यह पूरी कार्रवाई प्रभावशाली, व्यापारिक वर्गों एवं भाजपा नेताओं के दबाव में की गई प्रतीत होती है। पुलिस द्वारा धारा-308 जैसी गंभीर धाराएँ अनुचित रूप से जोड़ी गईं, जिससे न केवल निर्दोष नागरिकों के अधिकारों का हनन हुआ हैं, बल्कि पुलिस तंत्र की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है। बैठक की अध्यक्षता पवन गुर्जर ने की, जबकि संचालन एडवोकेट आदेश प्रधान द्वारा किया गया। कार्यक्रम में अनुज भड़ाना, जयराज चपराना, भारत भड़ाना, राजकुमार, नकुल स्याल, रिंकू, विनोद (काज़ीपुर) सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे। बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि आगामी रविवार को ग्राम काजीपुर में सर्वसमाज की एक बड़ी सामाजिक पंचायत आयोजित की जाएगी, जिसमें प्रशासनिक कार्यशैली के विरोध में सामूहिक निर्णय लिए जाएंगे और निर्दोष युवकों की शीघ्र रिहाई की मांग की जाएगी।

शराब पीकर उत्पात मचा रहा था सत्यम रस्तोगी
सर्वसमाज ने पुलिस प्रशासन से यह भी मांग की कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच किसी उच्च स्तरीय अधिकारी या विशेष जांच टीम (SIT) से कराई जाए तथा जब तक जांच पूर्ण न हो, किसी निर्दोष व्यक्ति पर कठोर कार्रवाई न की जाए। इसके साथ ही, सर्वसमाज ने यह भी कहा कि शराब के नशे में उत्पात मचा रहे सत्यम रस्तोगी एवं उसके सहयोगी सिद्धार्थ बाबू (रजिस्ट्री ऑफिस, मेरठ) की पुलिस द्वारा कराई गई मेडिकल रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए, और उपरोक्त व्यक्तियों पर भी समान रूप से कानूनी कार्रवाई की जाए।

दबाव मुक्त होकर काम करें पुलिस: आदेश प्रधान
एडवोकेट आदेश प्रधान ने कहा “यह पुलिस प्रशासन कानून का मखौल उड़ा रहा है। पहले विकुल चपराना को शांति भंग में चालान किया गया, फिर मुकदमा दर्ज किया गया, और उसके बाद धारा बढ़ाई गई, जो कि पूर्णत: गलत है। पुलिस प्रशासन को चाहिए कि वह दबाव मुक्त और निष्पक्ष होकर कार्य करें तथा अपनी छवि में सुधार लाए।”

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