नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ: उच्चतम न्यायालय ने अमेरिका की वित्तीय शोध कंपनी वायसराय रिसर्च के वेदांता समूह की कंपनियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच के आग्रह वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। न्यायालय ने पूछा, "भारत के बाहर की कंपनियां इस बात को लेकर इतनी चिंतित क्यों हैं कि हम अपना कामकाज कैसे चलाते हैं?"
न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति ए एस चंदुरकर की पीठ ने शक्ति भाटिया नामक एक वकील की जनहित याचिका को खारिज कर दिया। इससे पहले वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा था कि भाटिया अपनी याचिका वापस ले लेंगे। केंद्र, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वायसराय रिसर्च एलएलसी एक शॉर्ट सेलर है और याचिकाकर्ता सिर्फ 'मशहूर होना' चाहते हैं। इसके बाद पीठ ने पूछा, "भारत के बाहर की ये कंपनियां इस बात को लेकर इतनी चिंतित क्यों हैं कि हम अपना कामकाज कैसे चलाते हैं और किस कानून के तहत चलाते हैं?" मेहता ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर होने के तुरंत बाद वायसराय के सेबी चेयरमैन और अन्य अधिकारियों को लिखे गए एक ईमेल का हवाला देते हुए कहा कि इन संस्थाओं की "बिल्कुल भी विश्वसनीयता नहीं है।" उन्होंने कहा, "यह एक सुनियोजित तरीका है, जहां बाहरी एजेंसियां रिपोर्ट बनाती हैं और भारतीय शेयर बाजार को प्रभावित करती हैं।"
शंकरनारायणन ने दलील दी कि याचिका में राहत के लिए जो अनुरोध है, वह बहुत सीमित है और इसमें केवल यह आग्रह किया गया है कि सेबी और आरबीआई आरोपों की जांच करें और आवश्यक कार्रवाई करें। शंकरनारायणन ने यह भी कहा कि वह वायसराय के तरीकों का समर्थन नहीं करते हैं और सिर्फ चिंताओं को दूर करना चाहते हैं, और सेबी बताई गई अनियमितताओं की जांच कर सकता है।
मेहता ने कहा कि ऐसी कंपनियां रिपोर्ट जारी करके और फिर मुकदमेबाजी के जरिए अपने प्रभाव को बढ़ाकर भारतीय कंपनियों और बाजारों को अस्थिर करने की कोशिश करती हैं। उन्होंने कहा, "देश की शीर्ष अदालत को यूं ही नहीं चलाया जा सकता। एक कड़ा संदेश देने के लिए इस याचिका को खारिज किया जाए।"
पीठ ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता अपनी जनहित याचिका वापस लेना चाहता है, इसलिए अदालत इस पर आगे विचार नहीं करना चाहेगी, इससे पहले, उच्चतम न्यायालय के दो न्यायाधीशों न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।
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