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Saturday, October 25, 2025

तीन दशक की मेहनत के बाद फिर शून्य पर खड़ा हुआ व्यापारी वर्ग

 


-अपनी दुकानों को ध्वस्त होते देखते रहें व्यापारी, परिवार खड़ा होकर बहाता रहा आंसू

लियाकत मंसूरी

नित्य संदेश, मेरठ। शहर का व्यापारी वर्ग इन दिनों खुद को चारों ओर से घिरा और लाचार महसूस कर रहा है। तीन दशक से अधिक समय तक कड़ी मेहनत, संघर्ष और समर्पण के बाद अपने परिवार की आजीविका चलाने वाले व्यापारियों के सामने अब अपने ही बनाए हुए व्यवसाय को ध्वस्त होते देखने की नौबत आ गई है।


कभी जिन दुकानों, प्रतिष्ठानों और कॉम्प्लेक्सों से सैकड़ों परिवारों की रोज़ी-रोटी चलती थी, आज वहीं व्यापारी अपनी आँखों के सामने सब कुछ उजड़ता देख रहे हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर व्यापारी वर्ग इतना बड़ा अपराधी कैसे बन गया कि उसे अपने ही श्रम का फल छिनते देखना पड़ रहा है? व्यापारी न तो अपराधी हैं, न कानून से परे, वे तो वही लोग हैं जिन्होंने बैंकों से लोन लेकर, दिन-रात 18 से 20 घंटे तक मेहनत कर अपने साथ-साथ चार और परिवारों को रोज़गार दिया। मगर आज वही व्यापारी बुढ़ापे में आकर अपने जीवनभर की पूंजी, मेहनत और उम्मीदों को मलबे में बदलते देख रहे हैं। कभी आर्थिक रीढ़ कहलाने वाला यह वर्ग अब बेबस, असहाय और उपेक्षित महसूस कर रहा है। वर्षों से शहर की अर्थव्यवस्था को गति देने वाला व्यापारी आज यह सोचने पर मजबूर है कि “क्या मेहनत करना और ईमानदारी से कारोबार चलाना अब अपराध बन गया है?”



"हम फिर से भिखारी बन गए..." ध्वस्तीकरण में उजड़े सपने

शनिवार को चली ध्वस्तीकरण कार्रवाई ने पूरे शहर के व्यापारी वर्ग को झकझोर कर रख दिया। 35 साल की मेहनत और संघर्ष से खड़ी की गई दुकानों को जब मलबे में तब्दील किया गया तो कई व्यापारियों की आँखों से आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। मदन क्रॉकरी हाउस की मालकिन फफक-फफक कर रो पड़ीं, “हम फिर से भिखारी बन गए... 35 साल पहले जहां से चले थे, आज फिर वहीं आ गए। अब अपने बच्चों को क्या देंगे?” यह कहते हुए वह वहीं फुटपाथ पर बैठ गईं।


मलबे में पुरानी यादें ढूंढते रहे व्यापारी

बतादे कि सुबह से ही सेंट्रल मार्केट परिसर में पुलिस, प्रशासन और आवास विकास परिषद की संयुक्त टीम ने भारी सुरक्षा बल के साथ कार्रवाई शुरू की। मौके पर एटीएस और ड्रोन टीम भी तैनात रही, जो हर गतिविधि पर नज़र रख रही थी। करीब 22 दुकानों को तोड़ा गया। ध्वस्तीकरण के दौरान कई दुकानदार बाहर बैठकर रोते रहे, कुछ अपने टूटे बोर्डों को संभाल रहे थे, तो कुछ मलबे में अपनी पुरानी यादें ढूंढते नजर आए।


27 अक्टूबर को होनी थी मामले की सुनवाई

व्यापारियों का कहना है कि उन्होंने अपनी पूरी उम्र इसी बाज़ार में लगा दी। बैंक से लोन लेकर, दिन-रात मेहनत कर इस कारोबार को खड़ा किया। अब जब बुढ़ापे में थोड़ी राहत की उम्मीद थी, तब सब कुछ मिट्टी में मिल गया। स्थानीय व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने इस कार्रवाई को “अन्यायपूर्ण और अमानवीय” बताते हुए कहा कि “व्यापारी वर्ग अपराधी नहीं है, वह इस शहर की आर्थिक रीढ़ है।” प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में 27 अक्टूबर को इस मामले पर सुनवाई होनी है, लेकिन उससे पहले ही ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पूरी कर ली गई।

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