नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। शहर के खैरनगर निवासी 44 साल के दिलशाद लगभग दस सालों से पीठ दर्द से पीड़ित थे। यह कभी-कभार होता था और शुरुआती सालों में दवाओं और फिजियोथेरेपी से आराम मिलता था, लेकिन धीरे-धीरे यह और गंभीर और लगातार होता गया। इस साल जनवरी से वह कुछ घंटों से ज़्यादा बैठ या चल नहीं पाते थे। उन्होंने अपने कार्यस्थल पर जाना और लोगों से मिलना-जुलना बंद कर दिया था। उनका जीवन तनावपूर्ण हो गया और उनका वजन बढ़ गया। उन्होंने अपनी रीढ़ की हड्डी का एमआरआई करवाया, जिसमें डिस्क का उभार और नसों का दबाव दिखाई दिया। उन्होंने दवाइयाँ और फिजियोथेरेपी जारी रखी। पिछले 2 महीनों से वह बिस्तर पर थे और जमीन पर पैर भी नहीं रख पा रहे थे। एमआरआई स्कैन के बाद उन्हें सर्जरी के बारे में बताया गया, लेकिन वह इसके परिणामों से डर रहे थे और ठीक होने का भरोसा नहीं था। फिर उन्होंने एक अन्य मरीज़ के ज़रिए हमसे संपर्क किया और हमने सर्जरी के बारे में विस्तार से चर्चा की।
फोर्टिस अस्पताल नोएडा के ब्रेन एवं स्पाइन विशेषज्ञ डा. राहुल गुप्ता ने बताया कि हमने बिना फिक्सेशन के माइक्रोडिसेक्टमी की योजना बनाई। डॉ राहुल ने बताया कि अगर डिस्क में कई स्तरों पर समस्या हो, तो हम कभी-कभी स्क्रू लगाकर फिक्सेशन करते हैं। मरीज 3 दिन तक अस्पताल में रहा। उन्हें तुरंत लक्षणों में 50% से ज्यादा आराम मिला और पिछले एक महीने में उनकी हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। अब उन्होंने अपनी सामान्य गतिविधियाँ फिर से शुरू कर दी है और खुश हैं।
इसी प्रकार बुलंदशहर की रहने वाली 53 वर्षीय सुनीता को पीठ के निचले हिस्से में दर्द था, जो कभी-कभी बहुत गंभीर होता था। यह दर्द दोनों पैरों में निकलता था, सुनीता का दर्द इतना असहाय था कि उन्हें चलने में दिक्कत होती थी। वह कई सालों से परेशान थी। शुरुआती वर्षों में दवाओं और फिजियोथेरेपी से इससे राहत मिली, लेकिन धीरे-धीरे यह अधिक गंभीर और लगातार हो गया
प्रेस कॉन्फ्रेंस में फोर्टिस अस्पताल नोएडा के दर्द विशेषज्ञ डॉ. अनुराग अग्रवाल ने बताया कि सुनीता ने एक मरीज के जरिए उनसे संपर्क किया था। तब तक उनका जीवन तनावपूर्ण हो चुका था। उन्होंने स्पाइनल डिस्क का एमआरआई कराया, जिसमें डिस्क L4-L5 और L5-S1 स्तर में उभरी हुई थी। अत्याधुनिक तकनीक से इलाज शुरू किया गया। एपिड्यूरल न्यूरोप्लास्टी, एक न्यूनतम इनवेसिव रीढ़ एवं दर्द की प्रक्रिया है जिसमे कोई संज्ञाहरण या सर्जिकल चीरा नहीं किया जाता है और सुइयों के साथ किया जाता है। हमने सुनीता को सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक अस्पताल में रखा और फिर छुट्टी दे दी। इलाज के 3 से 4 दिन बाद ही मरीज को आराम मिलना शुरू हो गया। 15 दिन बाद सुनीता को काफी आराम मिला। और उनकी दिनचर्या सामान्य हो गई थी। अब वे अपनी सामान्य गतिविधियों को फिर से शुरू करने में सक्षम हैं और खुश हैं।
इस प्रेस वार्ता में फोर्टिस अस्पताल नोएडा के ब्रेन एवं स्पाइन विशेषज्ञ डॉ राहुल गुप्ता एवं दर्द रोग विशेषज्ञ डॉ अनुराग अग्रवाल ने विस्तार से स्पाइन समस्याओं के बारे में चर्चा की एवं उनके आधुनिक एवं नवीनतम उपचार के बारें में बताया।
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