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Friday, August 15, 2025

अपने ज़माने के इमाम के ज्ञान के बिना सारी इबादत बेकार: मौलाना हसन रजा

 


-सफर-उल-मुज़फ्फर को इमाम हुसैन और उनके साथियों के चेहलुम पर मातमदारों ने निकाला मातमी जुलूस

डा. इफ्फत जकिया

नित्य संदेश, मेरठ सफर-उल-मुज़फ्फर को इमाम हुसैन और उनके साथियों के चेहलुम पर मातमदारों ने मातमी जुलूस निकाला। सरोही जाफरी ने पत्रकारों को बताया कि  जुमे की नमाज के बाद इमामबारगाह छोटी करबला में शोहदा ए करबला के चेहलुम की मजलिस हुई, जिसमें दानिश आबिदी ने सौज़ख्वानी की। उस्ताद अनवर ज़हीर ने सलाम ए अक़ीदत पेश किया और ईरान से आए मौलाना हाफिज़ हसन रज़ा ने मजलिस को संबोधित किया।


मजलिस के बाद इमाम बारगाह छोटी कर्बला लाला बाज़ार से जुलूस ए ताज़िया निकाला गया। जुलूस के संयोजक हसन मुर्तज़ा (रज़ा) ने पत्रकारों को बताया कि इस वर्ष, क़ुम (ईरान) में रह रहे मौलाना हाफ़िज़ हसन रज़ा ने छोटी कर्बला मेरठ में अशरा मजालिस को संबोधित किया। अशरा मजालिस का मुख्य विषय "क़यामत के दिन का इमाम, क़ुरआन के पैमाने में" था, जिस पर मौलाना ने विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "इंसान दुनिया में जिसका अनुसरण करता है, क़यामत के दिन वही उसका इमाम होगा।" मौलाना ने आगे कहा कि अपने ज़माने के इमाम के ज्ञान के बिना सारी इबादत बेकार है।" जिसे अपने इमाम की मार्फत उसकी मौत अज्ञानता की मौत है।" इमाम हुसैन (अ.स.) के चेहलुम के दिन, उन्होंने इमाम (अ.स.) की कुर्बानी के संदेश और अरबईन के दर्शन पर बात की। मसाइब में उन्होंने हजरत ज़ैनब (अ.स.) की कर्बला वापसी, सीरिया की जेल से उनकी रिहाई और इमाम हुसैन (अ.स.) की कब्र पर रोने और मातम मनाने के दर्दनाक दृश्य का वर्णन किया, जिसने श्रोताओं को शोक में डुबो दिया।



जुलूस ए अरबाईन अपनी पारंपरिक शान के साथ घंटाघर स्थित अज़ाखाना शाह ए कर्बला से होता हुआ शाम को रेलवे रोड स्थित कर्बला वक़्फ मनसबिया और कब्रिस्तान हाजी साहब में पहुंचकर समाप्त हुआ। जिसमें अंजुमन इमामिया की ओर से वाजिद अली गप्पू, साहिल अली और मीसम आदि, अंजुमन दस्ता ए  हुसैनी की ओर से हुमायूं अब्बास, अतीक़ अल हसनैन, गज़ाल आदि एवं अंजुमन तंजीम ए अब्बास की ओर से सफदर हिन्दुस्तानी आदि ने नौहा ख्वानी की। 


गमगीन माहौल और सोगवार फिज़ा में ताज़ियों को सुपुर्द ए खाक किया गया। जुलूस में भारी संख्या में अक़ीदतमंदों नें शिरकत की। हज़रत मौहम्मद (स.अ.) को उनके नाती और उनके साथियों का पुरसा पेश किया।

 

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