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Thursday, July 24, 2025

दिल ताजमहली की भाषा हमेशा याद रखी जाएगी: प्रोफ़ेसर सगीर अफ्राहीम



सीसीएस विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में "दिल ताजमहली से एक मुलाक़ात" विषय पर ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन

नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ। दिल ताजमहली की भाषा हमेशा याद रखी जाएगी। शायरी के साथ-साथ, उन्हें कहानी, रेखाचित्र और गीतों में भी रुचि है। वे साहित्य को दिल से देखते हैं। उनकी शायरी आम दर्शकों और पाठकों के दिलों को छू रही है। वे संवाद दर संवाद अपने विचार प्रस्तुत कर रहे हैं। उन्होंने अतीत और वर्तमान को एक साथ मिलाने का अनूठा कारनामा किया है। 

ये शब्द प्रसिद्ध आलोचक प्रोफ़ेसर सगीर अफ्राहीम के थे, जो आयुसा और उर्दू विभाग द्वारा आयोजित "दिल ताजमहली से एक मुलाक़ात" विषय पर अपना अध्यक्षीय भाषण दे रहे थे।
इससे पहले, कार्यक्रम की शुरुआत सईद अहमद सहारनपुरी द्वारा पेश की गई पवित्र कुरान की तिलावत से हुई। आगरा के प्रसिद्ध शायर दिल ताज महली ने मुख्य अतिथि के रूप में ऑनलाइन भाग लिया। आयुसा की अध्यक्ष प्रोफेसर रेशमा परवीन भी लखनऊ से कार्यक्रम से जुड़ीं। चश्मा फारूकी (खातून मशरेक, दिल्ली की पूर्व संपादक) और सादिया सलीम ने शोधवक्ता के रूप में भाग लिया। दिल ताजमहली का परिचय डॉ. इरशाद स्यानवी ने, स्वागत भाषण मुहम्मद नदीम ने और संचालन डॉ. शादाब अलीम ने किया। 

इस अवसर पर प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी ने कहा कि उर्दू साहित्य की सभी विधाओं में प्रयोग करने वाले बहुत कम लोग होते हैं। उनमें से एक हैं दिल ताजमहली, जिनका नाम ताज महल के साथ जुड़ा है। दिल ताजमहली की शायरी, अकबराबादी की तरह, भारतीय रीति-रिवाजों और परंपराओं पर आधारित है। दिल ताजमहली की शायरी दिलों को जोड़ती है। चाहे कविताएँ हों, ग़ज़लें हों या लघु कथाएँ, उनकी शायरी में भारत की झलक मिलती है। डॉ. शादाब अलीम ने दिल ताज महल का परिचय देते हुए कहा कि आगरा में ताज महल के पास ताज गंज नाम का एक मोहल्ला है जहाँ सदियों से मुगल परिवार रहता आया है। इसी परिवार में एक वसीम बेग चुगताई भी हैं। हालाँकि उनका नाम कम है, लेकिन उनकी काव्य वंशावली दुनिया में दिल ताज महली के नाम से जानी जाती है। दिल ताजमहली ने अपनी कलम से हर काव्य विधा को सुगंधित किया है। गद्य में, उन्होंने लघु कथाएँ, नाटक, निबंध और शोध एवं आलोचना के क्षेत्र में भी अपनी क्षमताओं का लोहा मनवाया है। और वे कई पुस्तकों के लेखक भी हैं। वे न केवल नस्र और नज़्म के उस्ताद हैं, साथ ही बहुत सभ्य, सहिष्णु, ज्ञानी और मानवतावादी भी हैं। वे अपने अच्छे व्यवहार और अच्छे व्यवहार से अंजान को भी आकर्षित करते हैं।

मुख्य अतिथि दिल ताजमहली ने कहा कि मैं उर्दू का एक छात्र हूँ। मैंने कविता, ग़ज़ल, गीत, लघु कथाएँ, नाटक आदि सभी में हाथ आजमाया है। मेरी लघु कथाओं में अतीत और वर्तमान की झलक साफ़ दिखाई देती है। हर व्यक्ति का काम बोलता है। प्रोफ़ेसर अख़्तर उल-वासे और प्रोफ़ेसर असलम जमशपुरी बहुत काम करते हैं और इस लिहाज़ से पूरी दुनिया में जाने जाते हैं। इस अवसर पर उन्होंने अपनी बेहतरीन कविताएँ प्रस्तुत कीं और "दावत और दावत" शीर्षक से एक लघु कथा का पाठ भी किया, जिसे श्रोताओं ने खूब पसंद किया। इस अवसर पर चश्मा फ़ारूक़ी और सादिया सलीम शम्सी ने दिल ताजमहली पर अपने लेख प्रस्तुत किए।

आयुसा की अध्यक्ष प्रोफ़ेसर रेशमा परवीन ने कहा कि दिल ताजमहली जैसे महान शायरों और लेखकों से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। आप जैसे व्यक्तित्व नई पीढ़ी के व्यक्तित्व निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं। कार्यक्रम से डॉ. आसिफ अली, डॉ. अलका वशिष्ठ, फरहत अख्तर, मुहम्मद शमशाद और अन्य छात्र जुड़े रहे।

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