कलम के सिपाही और उपन्यास सम्राट,
प्रेमचंद जी साहित्यलोक में नाम विराट।
दर्जन उपन्यास, तीन सौ कथा रचयिता,
तीन नाट्य, सैकड़ों कृति अद्भुत सुचिता।
गोदान, गबन, कायाकल्प जैसे वरदान,
रंगभूमि, कर्मभूमि, प्रतिज्ञा कृति महान।
निर्मला, रूठी रानी, सेवासदन, प्रेमाश्रम,
प्रेमा, वफ़ा, मंगलसूत्र अतुल्य रचनाक्रम।
सृजन कर बतलाई जन-जन की वेदना,
लेखन क्रांति, समाज सुधार की चेतना।
शतरंज के खिलाड़ी, ईदगाह की गाथा,
पूस की रात, किसान के कर्ज की व्यथा।
बड़े घर की बेटी, गरीबी में भी आनंदी,
नमक का दरोगा, घुस का बना न बंदी।
पंचपरमेश्वर में दिखाई सद्गति की राह,
हर कहानी में जीवन की मार्मिक थाह।
दो बैलों की कथा कहे निष्ठा का पाठ,
ठाकुर का कुंआ बना समाज का घाट।
बूढ़ी काकी की उपेक्षा से नैनों में पानी,
रसिक संपादक हास्य रस की कहानी।
ये नवाब राय के सृजन का थोड़ा बखान,
उनका वृहद साहित्य नवरसों की खान।
उनका रचनाकर्म ज्यों साहित्य का वैभव,
पूरी प्रशंसा कर सकूं, मेरे लिए असंभव।
उनकी अमर कृतियां युगों-युगों की स्मृति,
मार्गदर्शन देती रहेगी सदैव बनकर ज्योति।
सरस्वती वरद पुत्र का गुंजेगा सदियों नाम,
जन्मतिथि पर साहित्य के सूर्य को प्रणाम।
-सपना सी.पी. साहू 'स्वप्निल'
इंदौर (म.प्र.)
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