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काश ! पुराने दिन लौट आते
हम ज़िंदगी को उसी तरह जी पाते
पर ऐसा होता नहीं है...
वक़्त कभी रुकता नहीं है।
ज़िंदगी चलती रहती है अपनी चाल से...
नहीं रुक पाती, काल के मायाजाल से।
दिन बीतते हैं, बरसों में बदल जाते हैं।
न जाने कितने सुन्दर लम्हें,
हाथों से फिसल जाते हैं।
जहां खड़े हैं आज, वो पल भी साथ छोड़ देगा।
ज़िंदगी में फिर कुछ नई यादें जोड़ देगा।
गुजरते वक़्त ने, बहुत कुछ सिखाया है।
रुकना नहीं, चलते रहना बताया है।
आज, कल में बदल रहा है और कल, आज में।
बहुत कुछ छुपा है, वक्त के इस राज़ में।
खुशियां लूट लें वक्त से, और दर्द को बह जाने दें।
आज ज़िन्दगी को अपनी बात कह जाने दें।
✍🏻 प्रीति मकवाना, इंदौर
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