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Friday, July 11, 2025

आधुनिक जीवन की रीढ़ बन चुकी हैं बैटरियां: प्रोफेसर संगीता शुक्ला



चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में उन्नत ऊर्जा भंडारण तकनीकों पर राष्ट्रीय मंथन, सुपरकैपेसिटर और बैटरियों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम

नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन स्थित समिति कक्ष में शुक्रवार को ‘A2K+ स्टडीज कार्यक्रम’ के अंतर्गत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (DSIR) द्वारा प्रायोजित स्टेकहोल्डर कंसल्टेशन मीटिंग का सफल आयोजन हुआ। 

इस महत्वपूर्ण बैठक में देशभर के प्रतिष्ठित तकनीकी एवं शोध संस्थानों के विशेषज्ञों, उद्योग प्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों ने हिस्सा लेकर उन्नत ऊर्जा भंडारण तकनीकों के वर्तमान स्वरूप और भविष्य की संभावनाओं पर गहन मंथन किया। भारत में तेजी से बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए सुपरकैपेसिटर और आधुनिक बैटरियों की उपयोगिता आज पहले से कहीं अधिक हो गई है। इसी संदर्भ में विश्वविद्यालय के विज्ञान संकाय के भौतिक विज्ञान विभाग में संचालित इस विशेष परियोजना के अंतर्गत यह बैठक आयोजित की गई। इस परियोजना के प्रधान अन्वेषक प्रोफेसर बीरपाल सिंह हैं तथा डॉ. योगेंद्र कुमार गौतम सह-अन्वेषक के रूप में जुड़े हैं। परियोजना का उद्देश्य देश में उन्नत ऊर्जा भंडारण तकनीकों की टेक्नो-कमर्शियल स्थिति का व्यापक मूल्यांकन कर शोध और उद्योग के बीच व्यवहारिक सेतु स्थापित करना है। यह परियोजना वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (DSIR) के माध्यम से वित्तपोषित है, जिसका प्रमुख उद्देश्य वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहित कर उद्योगों में नवाचार और स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास को मजबूती देना है। A2K+ स्टडीज स्कीम के तहत इस अध्ययन से नीति निर्धारकों, शोध संस्थानों और उद्योगों को ठोस दिशा-निर्देश प्राप्त होंगे और ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।

बैठक के उद्घाटन सत्र में कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने कहा कि सुपरकैपेसिटर और नई पीढ़ी की बैटरियां आज के आधुनिक जीवन की रीढ़ बन चुकी हैं। मोबाइल फोन, घड़ियां, रिमोट कंट्रोल, लैपटॉप, यूपीएस, इन्वर्टर या इलेक्ट्रिक वाहन — हर जगह इनकी अहमियत है। उन्होंने कहा कि यह हमारे विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है कि इसे ऐसी राष्ट्रीय परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर मिला है, जिससे विद्यार्थियों और शोधार्थियों को भी नई दिशा मिलेगी।

मुख्य अतिथि डॉ. विपिन सी. शुक्ला, वैज्ञानिक-जी एवं प्रमुख, DSIR ने कहा कि भारत ने COP21 और COP26 में जो शून्य कार्बन उत्सर्जन और नवीनीकृत ऊर्जा के लक्ष्य तय किए हैं, उन्हें हासिल करने में उन्नत ऊर्जा भंडारण तकनीकें निर्णायक भूमिका निभाएंगी। सुपरकैपेसिटर और बैटरियां ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली पहुंचाने से लेकर स्मार्ट ग्रिड और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को सशक्त बनाने में अहम साबित होंगी। बैठक के दौरान सीसीएसयू के निदेशक, शोध एवं इस प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर प्रोफेसर बीरपाल सिंह ने विश्वविद्यालय में चल रहे उन्नत शोध, पेटेंट कार्य, ऊर्जा भंडारण से जुड़े प्रयोग, औद्योगिक सहभागिता और विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को विस्तारपूर्वक प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि इस अध्ययन के निष्कर्षों से शोध से उद्योग तक प्रौद्योगिकी के सफल हस्तांतरण को गति मिलेगी और नई राष्ट्रीय रिपोर्ट तैयार होगी।

इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रोफेसर एस.ए. हाशमी, प्रो. राज किशोर शर्मा, प्रो. सेवि मुरुगवेल; IIT रुड़की से प्रो. योगेश शर्मा; रिलायंस इंडस्ट्रीज से पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. प्रबीर बसु; जामिया मिलिया इस्लामिया से प्रो. जिशान हुसैन खान, डॉ. फहीम अहमद, डॉ. इस्लाम उद्दीन, नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी से डॉ. मुकेश जवारिया, डीएसआईआर से डॉ. वंदना कालिया (वैज्ञानिक-एफ), डॉ. रणजीत बैरवा (वैज्ञानिक-ई); नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी से डॉ. अनुराग गौर; IIT दिल्ली से डॉ. राजेंद्र ढाका; दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से डॉ. अमरीश पंवार; सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ तमिलनाडु से डॉ. वी. गणसेकरन;“प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा ने कार्यक्रम के संचालक की भूमिका निभाई एनसीईआरटी भुवनेश्वर से डॉ. अश्वनी कुमार; डॉ. उपदेश वर्मा, प्राचार्य, राजकीय महिला महाविद्यालय, नगला काशी, धौलाना, हापुड़, डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी अयोध्या से डॉ. गंगाराम मिश्रा; नोएडा की JackVolt इंडस्ट्रीज से मनीष भारद्वाज; राजीव गांधी यूनिवर्सिटी अरुणाचल प्रदेश से प्रो. संजीव कुमार और डॉ. ज्योति जयसवाल सहित देश के विभिन्न कोनों से आए विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए और ऊर्जा भंडारण तकनीकों से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सुझाव दिए। बैठक में ऊर्जा भंडारण तकनीकों के विकास, व्यावसायिक उत्पादन, तकनीकी मानकीकरण, नीति निर्माण और घरेलू निर्माण क्षमताओं को मजबूत करने जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई और भविष्य की रणनीति पर सहमति बनी।

डॉ. कविता शर्मा ने कार्यक्रम का सफल संचालन किया तथा भौतिक विज्ञान विभाग के विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल कुमार मलिक तथा प्रोफेसर अनुज कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा ने कार्यक्रम के मॉडरेटर की भूमिका निभाई। विश्वविद्यालय की ओर से इस अवसर पर प्रति-कुलपति प्रो. मृदुल कुमार गुप्ता, डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. भूपेंद्र सिंह, डीन साइंस प्रो. जयमाला, प्रो. जितेंद्र सिंह, प्रो. मुकेश शर्मा, डॉ अनिल यादव,डॉ. नीरज पंवार, डॉ. विवेक नौटियाल , इंजी प्रवीण कुमार, मितेंद्र कुमार गुप्ता सहित अनेक शिक्षकगण, शोधार्थी उपस्थित रहे।

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