अनम शेरवानी
नित्य संदेश, मेरठ। स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ के लिबरल आर्ट्स एवं ह्यूमैनिटीज विभाग, कला एवं सामाजिक विज्ञान संकाय के द्वारा बौद्धिक सम्पदा अधिकारों की समझ रचनात्मकता और नवाचार की सुरक्षा” विषय पर एक व्याख्यान सह कार्यशाला का आयोजन किया गया।
विशिष्ट अतिथि वक्ता डॉ. निशा राणा सुभारती विश्वविद्यालय, मेरठ की अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के अंतर्गत आई.पी.आर. सेल की रही। कार्यक्रम का शुभारंभ आयोजन समन्वयक डॉ. अमृता चौधरी द्वारा स्वागत भाषण से हुआ, जिसमें उन्होंने कार्यक्रम की थीम का परिचय देते हुए आज के डिजिटल एवं नवाचार-प्रधान युग में बौद्धिक संपदा अधिकारों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह विषय विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं, कलाकारों, नवप्रवर्तकों और उद्यमियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
डॉ. निशा राणा ने अपने व्याख्यान की शुरुआत बौद्धिक संपदा अधिकारों की अवधारणा और उनकी उपयोगिता को स्पष्ट करते हुए की। उन्होंने बताया कि बौद्धिक संपदा अधिकार आज के ज्ञान-आधारित समाज में नवाचारों और मौलिक रचनाओं की सुरक्षा के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करते हैं। उन्होंने विभिन्न प्रमुख घटकों जैसे पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, भौगोलिक संकेत, डिज़ाइन, और व्यापार रहस्यों के बारे में सरल उदाहरणों के माध्यम से समझाया।
उन्होंने बताया कि किस प्रकार पेटेंट तकनीकी खोजों की रक्षा करता है, वहीं कॉपीराइट साहित्यिक, कलात्मक एवं संगीत रचनाओं की सुरक्षा करता है। उन्होंने डिजिटल युग और ई-कॉमर्स में ब्रांड पहचान के लिए ट्रेडमार्क के बढ़ते महत्व को भी रेखांकित किया।
विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार त्रिपाठी ने बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रति जागरूकता को एक न्यायसंगत और नैतिक अकादमिक संस्कृति की दिशा में पहला कदम बताया। उन्होंने विद्यार्थियों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं से आग्रह किया कि वे अपने अधिकारों के प्रति सजग रहें और अपनी रचनाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दें। बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देना, उन्होंने उल्लेख किया, एक न्यायपूर्ण और नैतिक शैक्षणिक संस्कृति की स्थापना की दिशा में पहला कदम है।
इस अवसर पर विभाग के प्रतिष्ठित संकाय सदस्य डॉ. किरण रानी, डॉ. दुर्वेश कुमार, डॉ. मोहिनी मित्तल, डॉ. सरिता शर्मा, डॉ. अजय कुमार वर्मा, डॉ. लवली, श्री कपिल कुमार एवं जूली की उपस्थिति रही।
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