-स्थानीय जलवायु के आंकड़े
जुटाकर छात्रों ने बारिश के पैटर्न को समझा
नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। एनएएस इन्टर कॉलेज
में छात्रों ने स्थानीय मौसम विज्ञान की एक महत्वपूर्ण गतिविधि वर्षा मापन का अवलोकन
किया। स्कूल परिसर स्थित वर्षा मापक यंत्र की सहायता से छात्रों ने सुबह 9 बजे से दोपहर
1 बजे तक हुई वर्षा को मापा, जो ’’21 मिमी’’ दर्ज की गई। यह गतिविधि सिर्फ आंकड़े जुटाने
तक सीमित नहीं थी, बल्कि विद्यार्थियों को वातावरणीय विज्ञान के प्रति जागरूक और सक्रिय
बनाने की दिशा में एक प्रेरक कदम भी रही।
छात्र मींतांश ने खुद मापन
प्रक्रिया में भाग लिया, जिससे विज्ञान को अनुभव करने का अवसर मिला। स्थानीय जलवायु
के आंकड़े जुटाकर उन्होंने बारिश के पैटर्न को समझा। इस पहल से समुदाय आधारित विज्ञान
शिक्षा को बढ़ावा दिया जाता है। विज्ञान शिक्षक दीपक शर्मा ने बताया, ’“जब छात्र खुद
प्रकृति की गतिविधियों को समझते हैं, तो विज्ञान उनके लिए किताबों से बाहर निकलकर जीवंत
अनुभव बन जाता है।“ यह गतिविधि न केवल शिक्षा के अनुभव को रोचक बनाती है, बल्कि छात्रों
को जलवायु परिवर्तन और स्थानीय पर्यावरण की समझ भी देती है।
साल भर का पैटर्न निकाला
मीतांश ने
’’गर्मी का मौसम (अप्रैल-जुलाईः
’’ तापमान अक्सर 40°डिग्री से ऊपर चला जाता है, जून सबसे गर्म महीना होता है, जिसमें
औसत उच्च तापमान 41°डिग्री तक पहुँचता है। ’’मानसून (जून-सितंबर):’’ जुलाई और अगस्त
में सबसे अधिक वर्षा होती है, औसतन 6.7 से 6.8 इंच तक। इस दौरान आर्द्रता और बादल छाए
रहते हैं। ’’शीत ऋतु (दिसंबर-फरवरी):’’ तापमान गिरकर 10°डिग्री तक पहुँचता है, जनवरी
सबसे ठंडा महीना होता है। आकाश अधिकतर साफ रहता है और वातावरण शुष्क होता है।
’’बादलों की चाल
और आर्द्रताः’’
अक्टूबर सबसे साफ महीना
होता है, जब आकाश 93þ समय साफ या आंशिक रूप से साफ रहता है। जुलाई और अगस्त में बादल
छाए रहते हैं, जिससे वर्षा की संभावना अधिक होती है। यह जानकारी छात्रों को न केवल
वर्षा मापन की प्रक्रिया समझने में मदद करती है, बल्कि उन्हें स्थानीय जलवायु के दीर्घकालिक
प्रभावों से भी परिचित कराती है। इस अवसर पर प्रधानाचार्या आभा शर्मा, भुगोल अध्यापक
डा. सोहन पाल सिंह और विज्ञान अध्यापक मोहन लाल भी प्रयोग के दौरन सहयोग किया।
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