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Friday, June 6, 2025

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा किया जाता है विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस का आयोजन


नित्य संदेश। 7 जून विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस है, यह एक वैश्विक पहल है, जो खाद्य जनित जोखिमों को रोकने, पता लगाने और प्रबंधित करने के लिए जागरूकता बढ़ाने और कार्रवाई को प्रेरित करने पर केंद्रित है। यह दिन वैश्विक स्वास्थ्य, सुरक्षा और आर्थिक प्रगति के लिए खाद्य सुरक्षा के महत्व की याद दिलाता है। इस दिन का आयोजन संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा किया जाता है।

इस वर्ष का विषय है "खाद्य सुरक्षा: विज्ञान की कार्रवाई", जो सुरक्षित भोजन सुनिश्चित करने में वैज्ञानिक ज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालता है। विषय इस बात पर जोर देता है कि विज्ञान हमें यह समझने में मदद करता है कि भोजन कैसे असुरक्षित हो जाता है और संदूषण को रोकने के लिए व्यावहारिक समाधान कैसे लागू किए जा सकते हैं।
यह याद दिलाने के लिए कि सुरक्षित भोजन विलासिता नहीं बल्कि ज़रूरत है , 7 जून को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस के रूप में नामित किया गया है। यह दिन याद दिलाता है कि खाद्य सुरक्षा, आर्थिक उन्नति और अच्छा स्वास्थ्य सभी सुरक्षित भोजन पर निर्भर करते हैं। आज जब भारत जैसे देश में करोड़ों लोग कुपोषण और भुखमरी से जूझ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर संस्थागत परिसरों, विशेषतः छात्रावासों में प्रतिदिन हजारों की संख्या में भोजन तैयार होता है, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा बर्बाद हो जाता है। यह न केवल संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि एक गंभीर नैतिक और पर्यावरणीय चुनौती भी है।

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के छात्रावासों में प्रतिदिन लगभग 2000 विद्यार्थी भोजन करते हैं। इस व्यापक व्यवस्था में भोजन की गुणवत्ता और पर्याप्तता सुनिश्चित करना जितना आवश्यक है, उतना ही आवश्यक है भोजन के अपव्यय को रोकना, ताकि विश्वविद्यालय की छात्रावास खाद्य व्यवस्था सतत और जिम्मेदार बन सके। इस सन्दर्भ में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के छात्रावासों में प्रतिदिन भोजन अपव्यय की वास्तविक स्थिति: हेतु एक प्राथमिक अध्ययन किया गया जिसमे सभी छात्रावासों में लगभग 300 विधार्थियों ने गूगल फॉर्म के माध्यम से अपना सहयोग दियाl 

प्रमुख उद्देश्य - खाद्य अपव्यय के प्रमुख कारण क्या हैं (जैसे: स्वाद, गुणवत्ता, समय की कमी, अथवा अन्य )? छात्रों की खाद्य अपव्यय के प्रति जागरूकता और दृष्टिकोण क्या है? खाद्य अपव्यय को कम करने के लिए कौन-कौन से उपाय प्रभावी हो सकते हैं?

विद्यार्थियों से बातचीत व सर्वेक्षण के माध्यम से प्राथमिक आंकड़े एकत्र किए गए। इस अध्ययन के माध्यम से यह स्पष्ट हुआ कि: 
1. लगभग सभी विषयों के 78 % पुरुष एवं 22 % महिला विधार्थियों ने प्रतिभागिता की 
2. 50% से अधिक विद्यार्थियों ने स्वीकार किया कि वे अक्सर भोजन अधूरा छोड़ देते हैं, विशेष रूप से दाल-सब्जी या चावल।
3. भोजन की गुणवत्ता, स्वाद और विविधता की कमी को अपव्यय का प्रमुख कारण बताया गया।
4. कुछ विद्यार्थियों ने भोजन के निर्धारित समय और स्वतंत्र विकल्प की अनुपलब्धता को भी जिम्मेदार ठहराया।
5. कई छात्र चाहते हैं कि भोजन परोसने से पूर्व छात्रों की इच्छा के अनुसार मात्रा निर्धारित हो ताकि आवश्यकता से अधिक भोजन न परोसा जाए।

छात्रों के सुझाए समाधान - सर्वे में भाग लेने वाले विद्यार्थियों ने भोजन अपव्यय को रोकने के लिए कई रचनात्मक सुझाव दिए:
1. स्व-सेवा (Self-Service) प्रणाली लागू करना, जिससे छात्र अपनी भूख के अनुसार भोजन लें।
2. भोजन की गुणवत्ता सुधारना और साप्ताहिक मेनू में विविधता लाना।
3. भोजन की पूर्व सूचना देना– जैसे मोबाइल ऐप या नोटिस बोर्ड पर मेनू की घोषणा।
4. छात्रों को खाद्य अपव्यय के प्रति संवेदनशील बनाना, इसके लिए समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम चलाना।
5. बचे हुए भोजन का पुनः उपयोग या वितरण– जैसे गरीब बस्तियों या एनजीओ के माध्यम से जरूरतमंदों तक पहुँचाना।

प्रशासन की प्रतिक्रिया और आगामी योजनाएं -
छात्रों के फीडबैक पर विश्वविद्यालय प्रशासन गंभीरता से मंथन कर रहा है। छात्रावास प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि वे:

1. छात्रावासों में पायलट आधार पर स्व-सेवा प्रणाली शुरू करने की योजना बना रहे हैं।
2. भोजन निगरानी समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें छात्रों को भी शामिल किया जाएगा।
3. भोजन अपव्यय को ट्रैक करने के लिए डिजिटल निगरानी प्रणाली पर भी विचार चल रहा है।
4. साथ ही विश्वविद्यालय स्थानीय किसानों और खाद्य आपूर्तिकर्ताओं से समन्वय कर ताजे एवं पौष्टिक खाद्य सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रहा है।

सर्वेक्षण में छात्रावास वार प्रतिभागी – 
• डॉ आर के सिंह छात्रावास 30 % 
• डॉ के पी छात्रावास 9 %
• पंडित दीनदयाल उपाध्याय छात्रावास 14 %
• रानी लक्ष्मी बाई छात्रावास 21 %
• दुर्गा भाभी छात्रावास 6 %
• डॉ आंबेडकर छात्रावास 7 %
• वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप छात्रावास 13 %
1. क्या आप नियमित रूप से हॉस्टल मेस में भोजन करते है ? 
60 % हाँ , 40 % नहीं 

2. आप दिन में कितनी बार हॉस्टल मेस में भोजन करते है ? 
हर भोजन – 42 % , केवल दो बार – 39 % कभी कभी 19 % 
3. आप कितनी बार भोजन प्लेट में छोड़ते हैं ?
कभी कभी – 60 % , कभी नहीं 31 % , अक्सर 6 % , हर बार -3 %
4. आपके अनुसार हॉस्टल मेस में सबसे अधिक अपव्यय किस चीज का होता है ?
सब्जी 20 % , दाल 26 % , चावल 20 % , रोटी 3 % , अन्य 31 % 

निष्कर्ष: हमारी जिम्मेदारी, हमारी पहल 
भोजन केवल एक आवश्यकता नहीं, बल्कि हमारे श्रमिकों, किसानों और पर्यावरण के अथक परिश्रम का परिणाम है। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में चल रही यह पहल देश के अन्य शैक्षिक संस्थानों के लिए एक अनुकरणीय मॉडल बन सकती है। यदि हम संस्थागत स्तर पर खाद्य अपव्यय को रोकने में सफल होते हैं, तो यह देश की खाद्य सुरक्षा को मज़बूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
इस विश्व खाद्य दिवस पर आइए हम सभी मिलकर यह संकल्प लें कि "जितना चाहिए, उतना ही लें, भोजन का करें सम्मान", ताकि हमारे भविष्य की पीढ़ियां भी भूख से मुक्त, पोषणयुक्त जीवन जी सकें।

प्रोफेसर दिनेश कुमार 
मुख्य छात्रावास अधीक्षक
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ

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