ज़ाकिर तुर्क
नित्य संदेश, मेरठ। क़स्बा शाहजहांपुर निवासी मेहर-ए-आलम ख़ान को इंडियन नर्सरी मैन एसोसिएशन की पत्रिका का संपादक नियुक्त किया गया है, श्री खान एक अनुभवी पत्रकार और इंडियन नरसरीमैन एसोसिएशन (आई.एन.ए.) की गवर्निंग काउंसिल (जी.सी.) के सदस्य भी हैं, इसीलिये उन्हें आई.एन.ए. की मासिक पत्रिका ‘नर्सरी टुडे’ के नए मुख्य संपादक के रूप में ज़िम्मेदारी दी गई है।
श्री ख़ान ने प्रतिष्ठित उद्यान वैज्ञानिक पद्म श्री डॉ. ब्रह्म सिंह का स्थान लिया है, जो इससे पहले इस पद पर आसीन थे। श्री ख़ान को पत्रकारिता में चालीस वर्षों से अधिक का विविध अनुभव के साथ-साथ संपादन का गहन ज्ञान प्राप्त है। मेहर ए आलम ख़ान की इस नियुक्ति का निर्णय आई.एन.ए. की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में लिया गया, जो हाल ही में दिल्ली स्थित ग्रीनवेज़ नर्सरी में आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता आई.एन.ए. के अध्यक्ष वाई.पी. सिंह ने की, जबकि इसमें आई.एन.ए. के महासचिव मुकुल त्यागी, संयुक्त सचिव मुकेश शर्मा, कोषाध्यक्ष सी. गोपीनाथ, जी.सी. सदस्य ग़ालिब खान, डॉ. अशोक यादव और आई.एन.ए. उत्तर प्रदेश चैप्टर के अध्यक्ष रफ़ीक़ ख़ान उपस्थित थे।
उर्दू शायरी की कला में भी माहिर है मेहर ए आलम ख़ान
लंदन, यू.के. स्थित कंपनी ‘सिनेइंक पॉडकास्ट्स’ के कंसल्टेंट/पॉडकास्टर भी हैं। उन्होंने लंदन के मशहूर ब्रॉडकास्टर और सिनेइंक के डायरेक्टर परवेज़ आलम के साथ मिलकर सिनेइंक के लिए उर्दू शायरी की कला पर आधारित 22-एपिसोड की पॉडकास्ट श्रृंखला ‘इल्म-ए-शायरी’ का निर्माण किया है जो यूट्यूब और अन्य पॉडकास्ट प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है। इसके अलावा उन्होंने परवेज़ आलम के साथ ही फलों के राजा आम के इतिहास, संस्कृति, साहित्य, संगीत, व्यापार और राजनीति पर आधारित दस एपिसोड की अत्यंत लोकप्रिय और अब तक की सब से लंबी पॉडकास्ट श्रृंखला ‘आम नामा’ भी तैयार की है। श्री ख़ान सिनेइंक की ‘उर्दू बाग़’ श्रृंखला में भी योगदान दे रहे हैं।
मेहर ए आलम ख़ान ने 2011 से 2014 तक भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन स्वायत्त संगठन “केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद (सी.सी.आर.यू.एम.)” में सलाहकार (पोर्टल/प्रकाशन) के रूप में कार्य किया। उन्होंने सी.सी.आर.यू.एम. में नवंबर 1981 से जुलाई 2011 तक लगभग 30 वर्षों तक विभिन्न पदों पर नियमित सरकारी सेवा दी। लगभग 28 वर्षों तक वे सी.सी.आर.यू.एम. के प्रकाशन विभाग के प्रभारी रहे। वे सी.सी.आर.यू.एम. से रिसर्च ऑफिसर (पब्लिकेशन) के पद से सेवानिवृत्त हुए।
सी.सी.आर.यू.एम. में नियुक्ति से पहले और सेवा के दौरान भी श्री ख़ान ने आकाशवाणी की विभिन्न सेवाओं, विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं आदि के लिए स्वास्थ्य, पर्यावरण, यूनानी चिकित्सा जैसे विकास संबंधी विषयों पर 300 से अधिक वार्ताएं/लेख/रिपोर्ट्स लिखीं। उन्होंने दूरदर्शन के टी.वी. धारावाहिक ‘घरेलू नुस्ख़े’ के लिए यूनानी चिकित्सा के विशेषज्ञों का साक्षात्कार लिया, जिसमें भारतीय चिकित्सा पद्धतियों से स्वास्थ्य सुझाव दिए गए। इसके अलावा उन्होंने आकाशवाणी की विभिन्न सेवाओं के लिए लगभग 600 कार्यक्रमों का निर्माण/प्रस्तुतीकरण किया, जिनमें उर्दू सेवा (एक्सटर्नल सर्विस डिवीज़न), न्यूज़ सर्विस डिविज़न, नेशनल चैनल आदि शामिल हैं। साथ ही उन्होंने यूनानी चिकित्सा पर कुछ डॉक्युमेंटरी फ़िल्मों के लिए स्क्रिप्ट भी लिखीं।
जन्तु विज्ञान के शोधकर्ता से पत्रकार बने श्री ख़ान ने अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत जनवरी 1979 से जून 1980 के बीच अलीगढ़ से प्रकाशित उर्दू पाक्षिक ‘ख़ैर ओ ख़बर’ के संपादक के रूप में की।अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ से १९७४ में जन्तु विज्ञान में एम.एस.सी. की डिग्री हासिल करने के बाद श्री ख़ान कुछ कृषि कीटों के व्यवहार पर तीन वर्षों तक अनुसंधान कार्य में व्यस्त रहे। साथ ही उन्हों ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से ही १९७८ में पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा भी प्राप्त किया।
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