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Thursday, June 26, 2025

कईं विद्वानों ने किया मंथन, जताई 'हिंग्लिश' व भाषायी क्षरण पर चिंता


सपना सीपी साहू 
नित्य संदेश, नई दिल्ली। न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन एवं अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन के सहयोग से सृजन अमेरिका, सृजन मॉरीशस एवं एकलव्य विश्वविद्यालय (दमोह) के हिंदी विभाग (कला एवं मानविकी संकाय) के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता माह-2025 के अंतर्गत ऑनलाइन एवं ऑफलाइन माध्यम से 'मध्यप्रदेश में हिंदी साहित्य एवं पत्रकारिता:विविध आयाम' विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गयी। इसमें हिंदी साहित्य, पत्रकारिता, जनपदीय लेखन, पत्र-पत्रिकाएँ, स्वतंत्रता आंदोलन, आधुनिक तकनीक, डिजिटल मीडिया और नई प्रवृत्तियों से जुड़े विविध पहलुओं पर प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के अलावा अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया व कतर आदि के विद्वानों ने मंथन किया। 
     
यह आयोजन एकलव्य विवि की कुलाधिपति डॉ. सुधा मलैया, प्रति कुलाधिपति पूजा मलैया एवं रति मलैया के नेतृत्व, कुलगुरु प्रो. पवन कुमार जैन, कुलसचिव डॉ. प्रफुल्ल शर्मा के निर्देशन एवं हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. हृदय नारायण तिवारी के संयोजन में किया गया। फाउंडेशन की संस्थापक पूनम चतुर्वेदी शुक्ला और मप्र के समन्वयक अजय जैन 'विकल्प' ने बताया कि संगोष्ठी की आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं संरक्षक प्रसिद्ध कवि व संपादक डॉ. शैलेश शुक्ला, पूर्व महासचिव (विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस) डॉ. विनोद कुमार मिश्र, विशिष्ट अतिथि के रूप में विभागाध्यक्ष हिंदी अध्ययनशाला (विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन) से प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा, डॉ. हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय से प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी, विषय विशेषज्ञ के रूप में भूतपूर्व संयुक्त निदेशक (मध्यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी) प्रो. सेवाराम त्रिपाठी के साथ ही अनेक ख्याति प्राप्त विद्वानों ने संगोष्ठी में विचार-मंथन किया। 

शुभारंभ विद्या की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती एवं प्रथम पूज्य भगवान गणेश के चरणों में दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कुलगुरु डॉ. जैन द्वारा अतिथियों का स्वागत करने के साथ ही पत्रकारिता के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों को रेखांकित किया गया। प्रथम सत्र की अध्यक्षता कर रहीं डॉ. सुधा मलैया ने वर्तमान हिंदी पत्रकारिता खासकर प्रिंट मीडिया में हो रहे भाषायी क्षरण को पटल पर रखते हुए हिंग्लिश आधारित हिंदी के चलन पर चिंता व्यक्त करते हुए इससे बाहर निकलने की बात कही। बीज वक्तव्य में प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने प्रागैतिहासिक काल से चली आ रही चुनौतियों को ही वर्तमान की भी चुनौती माना, साथ ही मध्यप्रदेश के प्रमुख हिंदी समाचार पत्रों का उल्लेख करते हुए इंदौर को पत्रकारिता की उर्वरा भूमि कहा। 

प्रो. त्रिपाठी ने मध्यप्रदेश के हिंदी साहित्य को रेखांकित करते हुए बुंदेलखंड के साहित्यकारों की लंबी श्रृंखला एवं उनके योगदान को पटल पर रखा। कतर से जुड़ी श्रीमती शालिनी गर्ग ने हिंदी की संवेदना को चिन्हित किया। अमेरिका से जुड़े सृजन अंतरराष्ट्रीय पत्रिका के राष्ट्रीय संपादक अरुण नामदेव ने भारत के टी.वी. चैनलों पर हो रही भड़काऊ बहस पर चिंता व्यक्त करते हुए समाधान दिया। प्रो. शिव प्रसाद शुक्ल ने पत्रकारिता और लोकतंत्र को व्याख्यायित करते हुए वर्तमान हिंदी पत्रकारिता की चुनौतियों से निपटने हेतु समाधान प्रस्तुत किया। प्रो. सेवाराम त्रिपाठी ने मध्यप्रदेश की हिंदी पत्रकारिता पर विचार रखते हुए वर्तमान हवा-हवाई पत्रकारिता पर चिंता व्यक्त की, साथ ही पत्रकारिता में नैतिकता के क्षरण पर भी ध्यानाकर्षण कराया। 

द्वितीय सत्र में डॉ. आशीष जैन द्वारा जैन पत्रकारिता के इतिहास को रेखांकित किया गया। प्रो. सूर्य नारायण गौतम ने कहानी के माध्यम से वर्तमान पत्रकारिता की दिशा और दशा को चिन्हित किया। इस संगोष्ठी में अलग-अलग प्रदेशों से जुड़े प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों ने शोध-पत्र का वाचन किया। इस अवसर पर डॉ. शुक्ला ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि हिंदी पत्रकारिता के २००वें वर्ष के सुअवसर पर सृजन समूह द्वारा अनवरत पूरे वर्ष भर में २०० से अधिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है। 
प्रथम सत्र में कुलसचिव डॉ. प्रफुल्ल शर्मा, द्वितीय में डॉ. गौतम और डॉ. हृदय नारायण तिवारी ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

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