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Monday, June 16, 2025

शरीर सबसे बड़ा तीर्थ, क्योंकि उसमें आत्मारूप ऋषि निवास करता है: प्रो. सुधाकराचार्य त्रिपाठी


नित्य संदेश ब्यूरो 
मेरठ। मयूर विहार में अपने आवास पर प्रो. सुधाकराचार्य त्रिपाठी ने तीर्थभागवतमहापुराणकथा का प्रारम्भ किया।
उन्होंने बताया कि कथा व्यास भागवत में अवतारों की कथा कहते हैं किन्तु प्रोफेसर त्रिपाठी जी ने भागवत में ऋषिकथाओं और तीर्थकथाओं के प्रवचन का नवीन प्रयोग किया।

उन्होंने तीर्थ का अर्थ बताते हुए कहा कि भवसागर से पार कराने वाला तीर्थ है। तीर्थ नदीमय, जलमय, शिलामय, नहीं बल्कि साधुमय है, क्योंकि उनके दर्शन मात्र से ही भवसागर पार हो जाता है। नैमिषारण्य में एक हजार वर्षों का सतत सत्र चला, ऋषियों के लोकोपकारी सम्वादसत्र से वह तीर्थ हुआ।
नैमिषारण्य, शम्याप्रास, शुकप्रस्थ,हरद्वार, हरिद्वार आदि तीर्थों की रसमय रोचक कथाएं सुनाईं। मंगलवार को बिन्दुसर, गङ्गासागर, कुलाचल, कैलास, क्रियायोग, समुद्र, पृथ्वी, मानसरोवर, कुटकाचल और कालाञ्जर की कथा होगी।

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