नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने पूर्वांचल
विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में
विगत 06 माह से चल रहे संघर्ष में
किसानों और आम उपभोक्ताओं को साथ जोड़कर आंदोलन चलाने का निर्णय लिया है। आगामी 22 जून को लखनऊ में किसानों, आम उपभोक्ताओं और बिजली कर्मियों की संयुक्त
महापंचायत बुलाई है, जिसमें निजीकरण रद्द कराने हेतु आंदोलन की साझा रणनीति का
ऐलान किया जाएगा। इस महा पंचायत का मुख्य उद्देश्य यह है कि निजीकरण से प्रभावित
होने वाले सभी संवर्ग एक साथ मिलकर आंदोलन करें।
संघर्ष समिति मेरठ के पदाधिकारियों ने इं सीपी सिंह (सेवानिवृत), इं कृष्ण कुमार साराश्वत, इं निखिल कुमार, इं निशान्त त्यागी, इं प्रगति राजपूत, कपिल देव गौतम, जितेन्द्र कुमार, विवेक सक्सेना, प्रदीप डोगरा आदि एवं जूनियर इंजीनियर संगठन के पदाधिकारियों राम आशीष कुशवाहा, गुरुदेव सिंह, रविंद्र कुमार, प्रेम पाल सिंह, अश्वनी कुमार आदि ने बताया कि 22 जून को लखनऊ में होने वाली महापंचायत को बिजली के निजीकरण से प्रभावित होने वाले सबसे प्रमुख स्टेकहोल्डर्स किसानों, आम गरीब एवं मध्यमवर्गीय घरेलू उपभोक्ताओं और बिजली कर्मियों के संगठनों के प्रमुख पदाधिकारी सम्बोधित करेंगे। इस महापंचायत में निजीकरण हेतु पावर कार्पोरेशन प्रबंधन द्वारा दिए जा रहे झूठे आंकड़ों का पर्दाफाश करते हुए एक श्वेत पत्र जारी किया जाएगा।
निजीकरण के बाद
उड़ीसा, चंडीगढ़, दिल्ली, ग्रेटर नोएडा, आगरा में उपभोक्ताओं को होने वाली कठिनाइयों और बिजली
कर्मियों की दुर्दशा से माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को और प्रदेश सरकार को
अवगत कराने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया जाएगा। संघर्ष समिति के आह्वान पर लगातार
191वें दिन ऊर्जा भवन कार्यालय में हुई विरोध सभा में
सभी बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के विरुद्ध अपनी आवाज़ बुलंद की।
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