नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के संबंध में कुलाधिपति के निर्देशानुसार, योग फोर वन अर्थ-वन हेल्थ कार्यक्रम के अंतर्गत "योग एक सम्पूर्ण जीवनशैली" विषय पर महाराजा
अग्रसेन हिमालयन विश्वविद्यालय पौड़ी गढ़वाल के विभागाध्यक्ष एवं सहायक आचार्य डॉ. दीपक कुमार द्वारा शुक्रवार परिचर्चा की गई।
उन्होंने बताया कि योग कोई व्यायाम पद्धति नहीं है, बल्कि योग एक
सम्पूर्ण जीवनशैली का मार्ग प्रशस्त करता है। अष्टांग योग के प्रथम अंग यम के
अंतर्गत हम सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह पढ़ते हैं। जिसके अन्तर्गत सच बोलना, हिंसा न करना, चोरी न करना, ब्रह्मचर्य का पालन करना और
आवश्यकता से अधिक सामान का संग्रह न करना आदि शिक्षा मिलती है। जो आदर्श जीवन के
आयाम हैं। इसके बाद दूसरा अंग नियम में हम
शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वर परिनिधान पढ़ते हैं।
शौच का अर्थ शारीरिक और मानसिक स्तर पर शुद्धि, संतोष का अर्थ अपने पास प्राप्त संसाधन और साधनों में
संतुष्टि प्राप्त करना, तप के अंतर्गत व्रत, उपवास आदि आते हैं, स्वाध्याय स्वयं का अध्ययन करना अथवा उन धार्मिक ग्रंथों
का अध्ययन करना, जो हमारे लिए प्रेरणा स्रोत का कार्य करते हैं और सबसे अंत
में ईश्वर प्रणिनिधान इसका अर्थ है कि आपको अपने जितने भी कर्म हैं, उनको ईश्वर को समर्पित करते हुए अपना जीवन व्यतीत करना है, जिससे अहम की भावना नहीं आती और किसी भी कर्म के परिणाम के लिए आप स्वयं
को दोषी नहीं मानते।
इस परिचर्चा में योग विज्ञान विभाग के सभी छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया।
परिचर्चा के दौरान विभाग के समन्वयक प्रोफेसर राकेश कुमार शर्मा, सभी शिक्षक डॉ. नवज्योति सिद्धू, सत्यम सिंह, अमरपाल, डॉ. कमल शर्मा, अंजू मलिक, ईशा पटेल, साक्षी मावी आदि उपस्थित रहे।
No comments:
Post a Comment