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Thursday, May 8, 2025

बज रही है रणभेरी

नित्य संदेश।
बज रही है रणभेरी 
सीमा पार है देश का बैरी 
माँग उजाड़ी बालाओं की 
देशद्रोहियों ने की ग़द्दारी 

हँसी ख़ुशी जहाँ चहक रही थी 
गूँज रहीं थीं किलकारी 
आतंकी आताताई ने 
की थीं गोली बारी 

रोती बिलखती माता-बहनों की 
चीखें गूँजी थीं घाटी में 
मासूमों ने खोया पिता को 
दहशत थी उनकी आँखों में 

बनकर उनके रक्षक पहरी 
वीरों ने क़सम ये खाई है 
 सम्मान की अग्नि फूट पड़ी है 
ये घात बहुत गहराई है 

जड़ से मिट जाएगा अब अरि 
ताक़त सिंदूर की ना पहचानी है 
माँग करेंगे बहनों की पूरी 
प्रतिशोध की नई कहानी है ।

प्रीति दुबे

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