नित्य संदेश ब्यूरो
मेरठ। लाला लाजपत राय स्मारक
मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग द्वारा "हीट स्ट्रोक: बचाव, निदान और प्रबंधन"
विषय पर एक ज्ञानवर्धक संगोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. अंशुल
मित्तल ने अपने विचार साझा किए। यह कार्यक्रम मेडिसिन विभाग के सेमिनार रूम में आयोजित
किया गया।
सेमिनार में मेडिकल कॉलेज
के प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता, मेडिसिन विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. योगिता सिंह आदि
ने अपने विचार रखे। इस सेमिनार में हीट स्ट्रोक, एक गंभीर और जानलेवा स्थिति, जो अत्यधिक
गर्मी में लंबे समय तक रहने के कारण शरीर के तापमान नियंत्रण तंत्र के विफल होने से
उत्पन्न होती है, के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की गई। बताया कि हीट स्ट्रोक से बचने
के लिए भरपूर पानी पिएँ, सीधी धूप से बचें और हल्के कपड़े पहनें। इस सत्र में जलवायु
परिवर्तन के बीच बढ़ती हीट-संबंधी बीमारियों, सार्वजनिक जागरूकता और निवारक उपायों
पर विस्तृत चर्चा हुई। सेमिनार में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. धीरज बालियान, डॉ. आभा
गुप्ता, डॉ. अरविन्द कुमार, डॉ. श्वेता शर्मा, डॉ. अनुपमा वर्मा, डॉ. ललिता चौधरी सहित
पीडियाट्रिक्स तथा मेडिसिन विभाग के अन्य फैकल्टी सदस्यों और जूनियर रेजिडेंट्स ने
उपस्थित रहे।
हीट स्ट्रोक (लू लगना)
हीट स्ट्रोक एक गंभीर और
जानलेवा स्थिति है, जो अत्यधिक गर्मी के संपर्क में रहने या शारीरिक तापमान नियंत्रण
के विफल होने के कारण होती है। यह आपातकालीन चिकित्सा स्थिति है, जिसमें तुरंत उपचार
न मिलने पर मस्तिष्क, हृदय, गुर्दे और मांसपेशियों को गंभीर नुकसान पहुँच सकता है।
मुख्य लक्षण:
-शरीर का तापमान 104°F
(40°C) या अधिक
-भ्रम, बेहोशी या दौरे
पड़ना, तेज सिरदर्द, चक्कर आना
-त्वचा का लाल, गर्म और
शुष्क होना (पसीना बंद होना)
-हृदय गति तेज होना
कारण:
-लंबे समय तक धूप/गर्मी
में रहना (जैसे—खेत, निर्माण स्थल, बंद गाड़ी में)
-अधिक शारीरिक परिश्रम
(सैनिक, एथलीट्स)
-पानी की कमी (डिहाइड्रेशन)
-मोटापा, हृदय रोग या दवाओं
का प्रभाव
बचाव व प्राथमिक उपचार:
-तुरंत ठंडे स्थान पर ले
जाएँ।
-शरीर को पानी/बर्फ से
ठंडा करें।
-पानी या ओआरएस पिलाएँ।
-तुरंत अस्पताल ले जाएँ।
किसे अधिक खतरा?
-बुजुर्ग, बच्चे, मधुमेह/उच्च
रक्तचाप के रोगी
-शराब या नशीली दवाओं का
सेवन करने वाले
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